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मंगलवार, 24 जनवरी 2012

कुछ तो जुस्तजू अभी बाकी है………………


तुम लिखते नही
या मुझ तक पहुंचते नही
तुम्हारे वो खत
जिसकी भाषा ,लिपि और व्याकरण
सब मुझ पर आकर सिमट जाता है
शायद संदेशवाहक बदल गये हैं
या कबूतर अब तुम्हारी मुंडेर पर नही बैठते
या शायद तुमने दाना डालना बंद कर दिया है
तभी बहेलियों के जाल में फँस गए हैं 

कोई तो कारण है 
यूँ ही नहीं हवाएं पैगाम लेकर आई हैं 

कुछ तो जुस्तजू अभी बाकी है………………

43 टिप्‍पणियां:

  1. वाह जी क्या बात हैं ....
    वक्त के साथ सब कुछ बदला बदला सा क्यूँ हैं ?

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  2. बहुत खूब .. क्यों नहीं आते वो पयाम जो दिल से दिल बिना किसी सन्देश-वाहक के पहुँच सकें ...

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  3. बढ़िया कविता... इन दिनों आपकी कविता में नए आयाम दिख रहे हैं...

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  4. बदले बदले से सरकार नजर आते हैं..सुन्दर प्रस्तुति.

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  5. वाह ...बहुत बढि़या ।

    कल 25/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, ।। वक्‍़त इनका क़ायल है ... ।।

    धन्यवाद!

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  6. आपके इस उत्‍कृष्‍ट लेखन के लिए आभार ।

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  7. कुछ प्रश्नों के उत्तर नहीं होते....
    सुन्दर....

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  8. कबूतर अब तुम्हारी मुंडेर पर नही बैठते
    या शायद तुमने दाना डालना बंद कर दिया है
    तभी बहेलियों के जाल में फँस गए हैं
    कोई तो कारण है
    यूँ ही नहीं हवाएं पैगाम लेकर आई हैं... सुनो भी , वरना ये न लौट जाएँ

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  9. दे के खत मुह देखता है नामवर
    कुछ तो पैगामें जबानी और है....

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  10. कुछ तो जुस्तजू अभी बाकि है ---बहुत खूब ।

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  11. बहुत सुन्दर काव्य रचना और भाव बधाई

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  12. सच में अभी बहुत कुछ बाकि है......खुबसूरत रचना.....

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  13. वाह ..प्रभाव शाली ..कितनी सुन्दर पंक्ति है ..
    'यु ही नहीं हवाएं पैगाम लेकर आयीं हैं '
    kalamdaan.blogspot.com

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  14. आज इस नए युग में पैगाम भेजने के तरीके बदल गए है,...बहुत खूब
    इस सुंदर रचना,के लिए बधाई

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  15. दिल से दिल को राह होती है. हवाओं द्वारा ही सही पैगाम तो पहुँच ही जाता है...
    खूबसूरत अहसास... आभार

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  16. जुस्तजू ही तो जिंदगी में आगे बढ़ने की हिम्मत देती है.

    सुंदर विचार और इतनी ही सुंदर कविता.

    बधाई.

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  17. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    गणतन्त्रदिवस की पूर्ववेला पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
    --
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    सूचनार्थ!

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  18. एक मीठा सा एहसास कराती रचना! बहुत सराहनीय!

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  19. बहुत सुन्दर..
    एहसासों से पगी...
    सस्नेह.

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  20. बहुत सुन्दर रचना |
    मेरी नई रचना जरुर देखें |
    मेरी कविता:शबनमी ये रात

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  21. पैगाम तो आज भी भेजते है पर तरीके बदल गए है,...
    बहुत सुंदर प्रस्तुति,भावपूर्ण अच्छी रचना,..
    WELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....

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  22. वेहतरीन प्रस्तुति
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.
    vikram7: कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........

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  23. दिल की सबसे खूबसूरत बात , जिंदगी की सबसे खूबसूरत घडी, प्रकृति का सर्वोत्तम गीत अभी बाकी है !

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  24. सुंदर रचना ......सपरिवार सहित गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.....

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