तुम लिखते नही
या मुझ तक पहुंचते नही
तुम्हारे वो खत
जिसकी भाषा ,लिपि और व्याकरण
सब मुझ पर आकर सिमट जाता है
शायद संदेशवाहक बदल गये हैं
या कबूतर अब तुम्हारी मुंडेर पर नही बैठते
या शायद तुमने दाना डालना बंद कर दिया है
तभी बहेलियों के जाल में फँस गए हैं
कोई तो कारण है
यूँ ही नहीं हवाएं पैगाम लेकर आई हैं
कुछ तो जुस्तजू अभी बाकी है………………
khat ke bhasha lipi vyakaran sab aakar simat gaye...:))
जवाब देंहटाएंkya gajab ki baat kahi hai..!!
वाह जी क्या बात हैं ....
जवाब देंहटाएंवक्त के साथ सब कुछ बदला बदला सा क्यूँ हैं ?
waah bahut achcha.
हटाएंबहुत खूब .. क्यों नहीं आते वो पयाम जो दिल से दिल बिना किसी सन्देश-वाहक के पहुँच सकें ...
जवाब देंहटाएंसटीक |
जवाब देंहटाएंबधाई ||
Very Niceeee
जवाब देंहटाएंबढ़िया कविता... इन दिनों आपकी कविता में नए आयाम दिख रहे हैं...
जवाब देंहटाएंबदले बदले से सरकार नजर आते हैं..सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत बढि़या ।
जवाब देंहटाएंकल 25/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, ।। वक़्त इनका क़ायल है ... ।।
धन्यवाद!
बेहतरीन अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंआपके इस उत्कृष्ट लेखन के लिए आभार ।
जवाब देंहटाएंकुछ प्रश्नों के उत्तर नहीं होते....
जवाब देंहटाएंसुन्दर....
बहुत खूब ..सुन्दर भाव..
जवाब देंहटाएंbahut khoobsurat shabd aur bhaav, badhai sweekaaren Vandana ji.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंहिंदी दुनिया
कबूतर अब तुम्हारी मुंडेर पर नही बैठते
जवाब देंहटाएंया शायद तुमने दाना डालना बंद कर दिया है
तभी बहेलियों के जाल में फँस गए हैं
कोई तो कारण है
यूँ ही नहीं हवाएं पैगाम लेकर आई हैं... सुनो भी , वरना ये न लौट जाएँ
दे के खत मुह देखता है नामवर
जवाब देंहटाएंकुछ तो पैगामें जबानी और है....
कुछ तो जुस्तजू अभी बाकि है ---बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर काव्य रचना और भाव बधाई
जवाब देंहटाएंWah! Bahut,bahut sundar!
हटाएंसच में अभी बहुत कुछ बाकि है......खुबसूरत रचना.....
जवाब देंहटाएंहाँ शायद बाकी है कुछ
जवाब देंहटाएंवाह ..प्रभाव शाली ..कितनी सुन्दर पंक्ति है ..
जवाब देंहटाएं'यु ही नहीं हवाएं पैगाम लेकर आयीं हैं '
kalamdaan.blogspot.com
kya baat vandana ji.... :)
जवाब देंहटाएंआज इस नए युग में पैगाम भेजने के तरीके बदल गए है,...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंइस सुंदर रचना,के लिए बधाई
सुंदर बेहतरीन अभिव्यक्ती है
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ अभी बाकी है...!
जवाब देंहटाएंदिल से दिल को राह होती है. हवाओं द्वारा ही सही पैगाम तो पहुँच ही जाता है...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अहसास... आभार
awesome....... :) :)
जवाब देंहटाएंबेहतरीन। बधाई।
जवाब देंहटाएंजुस्तजू ही तो जिंदगी में आगे बढ़ने की हिम्मत देती है.
जवाब देंहटाएंसुंदर विचार और इतनी ही सुंदर कविता.
बधाई.
बहुत सुंदर ....उम्दा प्रस्तुति .....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएं--
गणतन्त्रदिवस की पूर्ववेला पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
sab kuchh to vahi hai ,bas dil asaar badal gaye hain . bahut sundar
जवाब देंहटाएंएक मीठा सा एहसास कराती रचना! बहुत सराहनीय!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंएहसासों से पगी...
सस्नेह.
बहुत सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना जरुर देखें |
मेरी कविता:शबनमी ये रात
पैगाम तो आज भी भेजते है पर तरीके बदल गए है,...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति,भावपूर्ण अच्छी रचना,..
WELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....
बहुत सुन्दर ..क्या बात है ...
जवाब देंहटाएंवेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.
vikram7: कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........
दिल की सबसे खूबसूरत बात , जिंदगी की सबसे खूबसूरत घडी, प्रकृति का सर्वोत्तम गीत अभी बाकी है !
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ......सपरिवार सहित गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.....
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