आज एक धडकन तुम्हारे नाम गिरवीं रख रही हूँ
देखो ज़रा संभाल कर रखना अमानत मेरी
बस उस दिन लौटा देना जब रुखसत होउँ जहाँ से
मेरी चिता पर आखिरी आहुति दे देना
बस उस धडकन पर अपना नाम लिखकर
कोई ज्यादा कीमत तो नही मांगी ना ………
आखिर रुखसती के भी अपने रिवाज़ होते हैं……
अरे ये क्या है???? बिलकुल मैच नही कर रहा आपके ब्लॉग से :(
जवाब देंहटाएंकोई ज्यादा कीमत तो नही मांगी ना ………
जवाब देंहटाएंआखिर रुखसती के भी अपने रिवाज़ होते हैं…
...कितने ही रिवाजों की बीच आखरी में रुखसती का रिवाज भी निभाना भी पड़ता है,,,,,,,,,
मर्म स्पर्शी भाव.,,,
kya khoob maang ki hai....heartfull
जवाब देंहटाएंwww.poeticprakash.com
kya kahoon kya na kahoon......awaak hoon......
जवाब देंहटाएंsach main kya kahun kya na kahun meri bhi samajh men nahi araha hai :-)
जवाब देंहटाएंदुखी करती पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी !
जवाब देंहटाएंAapne to ekdam nishabd kar diya!
जवाब देंहटाएंगहन भावपूर्ण
जवाब देंहटाएंअभिव्यक्ति तो अच्छी है .. रिवाज के हिसाब से चलना ही पडता हैं !!
जवाब देंहटाएंमन को उद्वेलित करने वाली कविता
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएं--
कल के चर्चा मंच पर, लिंको की है धूम।
अपने चिट्ठे के लिए, उपवन में लो घूम।
अभी से रुखसत होने की बात कहाँ से आ गई जी ?
जवाब देंहटाएंiss kya hai ye??
जवाब देंहटाएंitna dard Vandana ke saath jam nahi raha
super dislike!
sach kaha rukhsati ke bhi aakhir apne riwaj hote hain.
जवाब देंहटाएंहम्म ... अभी तो कहीं लिखा था आग हथेली पर लिए फिरते हैं :)
जवाब देंहटाएंआज कल रिवाज़ तोड़ दिए जाते हैं ..
आखिर रुखसती के भी अपने रिवाज़ होते हैं…
जवाब देंहटाएंरिवाज़ रुखसती के बहुत ही मर्म स्पर्शी भाव.... पवित्र प्रेम की परकाष्ठा...
मर्मस्पर्शी भाव......
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति,
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण.
मर्मस्पर्सी
मर्मस्पर्शी
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
RajputsParinay
सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंरवि को रविकर दे सजा, चर्चित चर्चा मंच
जवाब देंहटाएंचाभी लेकर बाचिये, आकर्षक की-बंच ||
रविवार चर्चा-मंच 681
बस मेरी चिता पर आखिरी आहुति दे देना
जवाब देंहटाएंबस उस धड़कन पर अपना नाम लिख कर
आपने बहुत बड़ी कीमत तो नहीं मांगी... !
हिम्मत जबाब देजाये ऐसा रिवाज माँगा.... !!
मर्मस्पर्शी भाव.....
जवाब देंहटाएंआपके साथ हमारी भी दुआ कुबूल हो...
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति........बहुत सुन्दर|
जवाब देंहटाएंआखिर रुखसती के भी अपने रिवाज़ होते हैं……
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक अभिव्यक्ति...अंतस को गहराई तक छू गयी...आभार
ख्वाहिशें भी कुछ अलग सी होनी चाहिए, क़बूल हो तो बात क्या है!
जवाब देंहटाएंचौंकानेवाली पोस्ट |निहितार्थ अबूझ सा लगा |
जवाब देंहटाएंरुखसती के भी अपने रिवाज होते हैं....
जवाब देंहटाएंगहन अर्थों को अभिव्यक्त करती अच्छी कविता।
आपका पोस्ट अच्छा लगा । .मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंकुछ अलग सा अनदेखा/अबूझा. गहनाभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंसादर...
ओह!!!
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी!
जवाब देंहटाएंmarmsparshi...kathan...
जवाब देंहटाएंaap mujhse judi apka abhar....
aapke blog se jud kar aisa laga jaise akhir kar manjil mil gayi..tahedil se shukriya..
भावमय करते शब्द ।
जवाब देंहटाएंहां,प्रेम का सिला प्रेम हो,तो प्रेम को भी अपनी सम्पूर्णता में घटने का मौक़ा मिले!
जवाब देंहटाएंआखिर रुखसती के भी अपने रिवाज़ होते हैं…
जवाब देंहटाएंvery touching....
bhavpurn panktiya...
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