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शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2011

आखिर रुखसती के भी अपने रिवाज़ होते हैं……

आज एक धडकन तुम्हारे नाम गिरवीं रख रही हूँ
देखो ज़रा संभाल कर रखना अमानत मेरी
बस उस दिन लौटा देना जब रुखसत होउँ जहाँ से
मेरी चिता पर आखिरी आहुति दे देना
बस उस धडकन पर अपना नाम लिखकर
कोई ज्यादा कीमत तो नही मांगी ना ………
आखिर रुखसती के भी अपने रिवाज़ होते हैं……

39 टिप्‍पणियां:

  1. अरे ये क्या है???? बिलकुल मैच नही कर रहा आपके ब्लॉग से :(

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  2. कोई ज्यादा कीमत तो नही मांगी ना ………
    आखिर रुखसती के भी अपने रिवाज़ होते हैं…

    ...कितने ही रिवाजों की बीच आखरी में रुखसती का रिवाज भी निभाना भी पड़ता है,,,,,,,,,
    मर्म स्पर्शी भाव.,,,

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  3. sach main kya kahun kya na kahun meri bhi samajh men nahi araha hai :-)

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  4. अभिव्‍यक्ति तो अच्‍छी है .. रिवाज के हिसाब से चलना ही पडता हैं !!

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  5. मन को उद्वेलित करने वाली कविता

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  6. बहुत सुन्दर!
    --
    कल के चर्चा मंच पर, लिंको की है धूम।
    अपने चिट्ठे के लिए, उपवन में लो घूम।

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  7. अभी से रुखसत होने की बात कहाँ से आ गई जी ?

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  8. हम्म ... अभी तो कहीं लिखा था आग हथेली पर लिए फिरते हैं :)

    आज कल रिवाज़ तोड़ दिए जाते हैं ..

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  9. आखिर रुखसती के भी अपने रिवाज़ होते हैं…

    रिवाज़ रुखसती के बहुत ही मर्म स्पर्शी भाव.... पवित्र प्रेम की परकाष्ठा...

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  10. सुन्दर अभिव्यक्ति,
    भावपूर्ण.
    मर्मस्पर्सी

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  11. रवि को रविकर दे सजा, चर्चित चर्चा मंच

    चाभी लेकर बाचिये, आकर्षक की-बंच ||

    रविवार चर्चा-मंच 681

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  12. बस मेरी चिता पर आखिरी आहुति दे देना
    बस उस धड़कन पर अपना नाम लिख कर
    आपने बहुत बड़ी कीमत तो नहीं मांगी... !
    हिम्मत जबाब देजाये ऐसा रिवाज माँगा.... !!

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  13. आपके साथ हमारी भी दुआ कुबूल हो...

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  14. शानदार प्रस्तुति........बहुत सुन्दर|

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  15. आखिर रुखसती के भी अपने रिवाज़ होते हैं……

    बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति...अंतस को गहराई तक छू गयी...आभार

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  16. ख्वाहिशें भी कुछ अलग सी होनी चाहिए, क़बूल हो तो बात क्या है!

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  17. चौंकानेवाली पोस्ट |निहितार्थ अबूझ सा लगा |

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  18. रुखसती के भी अपने रिवाज होते हैं....

    गहन अर्थों को अभिव्यक्त करती अच्छी कविता।

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  19. आपका पोस्ट अच्छा लगा । .मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  20. कुछ अलग सा अनदेखा/अबूझा. गहनाभिव्यक्ति...
    सादर...

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  21. marmsparshi...kathan...
    aap mujhse judi apka abhar....
    aapke blog se jud kar aisa laga jaise akhir kar manjil mil gayi..tahedil se shukriya..

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  22. हां,प्रेम का सिला प्रेम हो,तो प्रेम को भी अपनी सम्पूर्णता में घटने का मौक़ा मिले!

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  23. आखिर रुखसती के भी अपने रिवाज़ होते हैं…

    very touching....

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