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मंगलवार, 13 सितंबर 2011

आखिर कोई तो हो कारण

सुनो
आजकल मन तुम तक नहीं पहुँचता
पता नहीं किन जंगलों में भटकता है
पता नहीं किस कांटे में उलझा है
जो अब फूलों की डगर नहीं देखता
कहीं दिखे तुम्हें किसी
अन्जान शहर में
अन्जान डगर पर
अन्जान महफ़िल में
किसी कांटे से उलझा
तो उसे याद कराना
हर बीता लम्हा
जो तुम्हारे साथ गुजरा था
शायद दिल की जमीन नम हो जाए
और फिर भी ना माने तो
एक बार उसे वापसी की राह दिखाना
जहाँ ये ठूंठ उसके इंतज़ार में सूखा पड़ा है
अब इसमें हलचल नहीं होती
आखिर कोई तो हो कारण
चाँदनी को जमीं तक पहुँचने के लिए

34 टिप्‍पणियां:

  1. आखिर कोई तो हो कारण
    चाँदनी को जमीं तक पहुँचने के लिए..

    कहाँ उलझा पड़ा है मन ? सीधी राह पकड़ो और चाँदनी को छू लो :):)

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  2. संगीता स्वरूप जी की बात पर गौर कीजिए ना!
    --
    चाँद पर चलने संे जमीन नहीं मिलती है।
    सिर्फ नजर आती है!
    --
    बहुत अच्छी रचना!

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  3. सही कहा ||

    बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति ||

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  4. मन तो आखिर मन है ..अपना ही है..जरा कोशिश करो पहुँच जायेगा चाँद तक.
    सुन्दर कविता.

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  5. सुन्दर कविता. चाँद को छूने की ललक... बहुत सुन्दर

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  6. शायद दिल की जमीन नम हो जाए
    और फिर भी ना माने तो
    एक बार उसे वापसी की राह दिखाना....

    सुन्दर अभिव्यक्ति....
    सादर बधाई...

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  7. सूने मन की व्यथा -अच्छा चित्रण ।

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  8. मन भला कब किसकी पकड़ में आया है! हां,उसे कुलांचे भरने को छोड़ दें,तो उसका स्वतः स्थान-ग्रहण निश्चित।

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  9. आखिर कोई तो हो कारण
    चाँदनी को जमीं तक पहुँचने के लिए.....

    ....बहुत सुन्दर अहसास और उनकी लाज़वाब अभिव्यक्ति..

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  10. khoobsoorat rachna...sahaj aur saral..magar asardaar

    http://teri-galatfahmi.blogspot.com/

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  11. तमाम विसंगतियों के बावजूद आशा अभी भी जीवित है.भावनामयी अभिव्यक्ति.शायद इसे ही जिजीविषा कहते हैं.

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  12. बहुत सुंदर..... गहरे भाव लिए पंक्तियाँ

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  13. खुबसूरत लफ्जों में लिपटे बेहतरीन अहसास........बढ़िया |

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  14. निराशा को खुद ही झटकना पढता है ... उदासी से बाहर आना चाहिए ...

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  15. अहसासों से लबरेज़ सुन्दर रचना.

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  16. बहुत ही अच्छी लगी।बहुत बढि़या रचना |

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  17. गहन भावों की हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति

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  18. man k pas bhaag jane ke kayi raaste hain, vo chhaliya hai vo apki sunega nahi apko apni suna kar aur manva kar rahega....koshish kijiye ise saadhne ki.

    :)
    sunder abhivyakti.

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  19. vandana ji
    bahut si baate chupke se kah jaati hai aapki yah post.
    man to aazad panhhi hai kahi bhi kabhi pahunch jaata hai use bandh ke rakhna bada hi mushkil hai.
    aabhar
    poonam

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  20. आपकी रचना बिंदास रचना होती है जो दिल है वही बाहर हमें ये बात बहुत अच्छी लगती है |
    सुन्दर रचना |

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