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बुधवार, 11 मई 2011

इतनी नाजुक हो तुम

इतनी नाजुक
हो तुम कि
छूने से भी डरता हूँ
इतनी दृढ
हो तुम कि
नहीं टूटोगी जानता हूँ

  इतना विरोधाभास क्यूँ?
मै इतनी नाज़ुक भी नही
और इतनी पत्थर भी नही
सिर्फ़ एक रूह हूँ जो
हवा मे बहती हूँ
सांसो के संग
प्रवाहित होती हूँ
तुमने कहाँ से
ढूँढ लिया मुझमे
विरोधाभास

बस बहने दो
मुझे मेरे ख्यालो के संग
बस खिलने दो
मुझे मेरे सवालो के संग
मुझे बस मै ही रहने दो
मत बांधो अपने
दायरो मे
अह्सास हूँ
अह्सास ही रहने दो

जानता हूँ
तुम क्या हो
तभी तो कहा
मगर शायद
तुमने समझा नही
तुम मेरे अह्सासो से भी
नाज़ुक हो
तभी तो कहा
हाथ लगाने से
डरता हूँ
और क्योंकि
रूह मे बसती हो
हवा सी बहती हो
तभी तो कहा
नही टूटोगी कभी
हवा कब टूटी है
सिर्फ़ बही है
और तुम तो
मेरी सांसो मे
बहती हो
जानता हूँ
मरने के बाद भी
नही टूटोगी
मेरे संग संग रहोगी

39 टिप्‍पणियां:

  1. हवा कब टूटी है
    सिर्फ़ बही हैऔर तुम तो
    मेरी सांसो मे
    बहती हो
    जानता हूँ
    मरने के बाद भी
    नही टूटोगी
    मेरे संग संग रहोगी

    गहन मनोभावों का सरल सम्प्रेषण ......बहुत बढ़िया

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  2. कविता और वंदना दोनों बन्धनों में बाधे नहीं जा सकते, दोनों उन्मुक्त उड़ना चाहते हैं, ऐसे में वन्दना की किसी कविता को अपने वैचारिक उन्माद में बाधना लाजमी नहीं लगता, कमेन्ट देकर सिर्फ ये कह दूं की उत्कृष्ट है तो भी, उत्कृष्टा की एक सीमा होती है............ लिखती रहें......... बस..........

    जवाब देंहटाएं
  3. मरने के बाद भी
    नही टूटोगी
    मेरे संग संग रहोगी

    हाँ सच में यह अहसास कभी जुदा नहीं होता और इस अहसास का सम्बन्ध शरीर से न होकर भावना से होता है .....!

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  4. वाह ! वंदना जी आप तो खुद में राधा और खुद में कृष्ण हों रहीं हैं.सुन्दर 'रास' प्रस्तुत किया है आपने.
    और अधिक टिपण्णी से इस सुन्दर 'रास' के आनंद में विघ्न डालना उचित नहीं लगता.
    सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.

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  5. जिसका शत्रु न कोई भी, वो है कोमल नार!
    नारी के इस में बसे, ममता भरा दुलार!
    --
    सुन्दर रचना!
    न + अरि = नारि

    जवाब देंहटाएं
  6. वंदना जी बहुत सुंदर रचना बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  7. हवा कब टूटी है
    सिर्फ़ बही हैऔर तुम तो
    मेरी सांसो मे
    बहती हो
    जानता हूँ
    मरने के बाद भी
    नही टूटोगी
    मेरे संग संग रहोगी

    वाह ... बहुत गहरे भावमय करते शब्‍द ।

    जवाब देंहटाएं
  8. हवा कब टूटी है
    सिर्फ़ बही हैऔर तुम तो
    मेरी सांसो मे
    बहती हो
    सुन्दर भाव। शुभकामनायें।

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  9. अहसास कब मरते हैं संग ही रहते हैं .
    गहरे भाव .

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  10. हवा कब टूटी है
    सिर्फ़ बही हैऔर तुम तो
    मेरी सांसो मे
    बहती हो ..
    जहाँ जन्म जन्मान्तर का साथ हो वहाँ साँसों का साथ होता है .... बहुत खूब ..

    जवाब देंहटाएं
  11. बस बहने दो
    मुझे मेरे ख्यालो के संग
    बस खिलने दो
    मुझे मेरे सवालो के संग
    मुझे बस मै ही रहने दो
    मत बांधो अपने
    दायरो मे
    अह्सास हूँ
    अह्सास ही रहने दो.....

    वाह.. वंदनाजी मेरे पास तो शब्द ही नहीं रहे आपकी इस रचना की तारीफ के लिए जो भी कहूँगी बहुत कम होगा... लाजवाब.......... बस ऐसे ही लिखते रहिये...

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  12. अहसास ही तो हैं जो एक जन्म से दूसरे जन्म तक किसी के होने का अहसास देते हैं. इस पञ्च तत्त्व के शरीर के ख़त्म होने के बाद मनुष्य ख़त्म होता है उसकी आत्मा अपने अहसास के साथसदैव ही साथ रहती है.

    जवाब देंहटाएं
  13. हवा कब टूटी है
    सिर्फ़ बही हैऔर तुम तो
    मेरी सांसो मे
    बहती हो

    सुन्दर गहन मनोभाव, शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  14. hi, vandana ji !! namaskaar
    pahle to dher saari shubhkamnayen,
    kafi samay baad aapko padha bahut achchha laga ,
    charcha manch bhi dekha hai , aapke sarthak pryas ke liye badhaai.
    renu

    जवाब देंहटाएं
  15. hi, vandana ji !! namaskaar
    pahle to dher saari shubhkamnayen,
    kafi samay baad aapko padha bahut achchha laga ,
    charcha manch bhi dekha hai , aapke sarthak pryas ke liye badhaai.
    renu

    जवाब देंहटाएं
  16. वाह...अतिभावपूर्ण...सुन्दर रचना..

    जवाब देंहटाएं
  17. कविता और भाव भी नाज़ुक से हैं...मन के नाज़ुक भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति....

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  18. सुन्दर किन्तु सच्चा विरोधाभास..!!

    जवाब देंहटाएं
  19. बहती हो
    जानता हूँ
    मरने के बाद भी
    नही टूटोगी
    मेरे संग संग रहोगी
    ... बहुत गहरे भावमय करते शब्‍द ।
    बहुत सुन्दर.........शानदार

    जवाब देंहटाएं
  20. नाज़ुक मन में भी दृढ इरादे हो सकते हैं ।
    बहुत खूबसूरत रचना ।

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  21. बहुत खूबसूरत भावपुर्ण रचना

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  22. कोमल भावनाओं से भरपूर अच्छी कविता. आभार.

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  23. वंदना जी क्या कहने आपके , सुन्दर प्रश्तुती

    जवाब देंहटाएं
  24. धरातल से जुडे जीवन दर्शन की शानदार अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  25. हवा कब टूटी है
    सिर्फ़ बही हैऔर तुम तो
    मेरी सांसो मे
    बहती हो
    जानता हूँ
    मरने के बाद भी
    नही टूटोगी
    मेरे संग संग रहोगी
    sunder soch uttam bhav
    badhai
    rachana

    जवाब देंहटाएं
  26. गहन मनोभावों का सरल सम्प्रेषण| धन्यवाद|

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  27. बेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति, बधाई वंदना जी.

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  28. Vandna ji der se padhne ke liye kshma chahti hoon.adbhut prastuti hai aapki.do manobhaavon ka kis khoobsurti se chitran kiya hai aapne.saraahniye hai.badhaai.

    जवाब देंहटाएं
  29. हवा कब टूटी है
    सिर्फ़ बही हैऔर तुम तो
    मेरी सांसो मे
    बहती हो
    जानता हूँ
    मरने के बाद भी
    नही टूटोगी
    मेरे संग संग रहोगी...

    क्या कहें आपकी रचना के बारे में.. भाव अंतस को इतनी गहराई तक अभिभूत कर देते हैं कि फिर रचना पर कोई कमेन्ट देना बेमानी लगने लगता है..आभार

    जवाब देंहटाएं
  30. खूबसूरत और कोमल एहसासों से भरी रचना ...

    मेरी टिप्पणी गायब हो चुकी है यहाँ ..दुबारा दे रही हूँ :)

    जवाब देंहटाएं

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