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शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

वस्त्रहीन

कभी कभी
उदासी इतनी
गहन होती है
शब्द भी
खामोश हो जाते हैं
या किसी कोने मे
दुबक जाते हैं
इंतज़ार मे
रहते हैं कि
कब उसके
जज़्बातों को
उसके दर्द को
शब्द अपने मे समेटें
मगर उदासी
अपने दामन को
धूप मे नही सुखाती
तार तार होने से
बचाने के लिये
अंधकूप मे ही
कायम रहती है
जहाँ शब्दों को भी
स्थान नही मिलता
कैसे खुद को
वस्त्रहीन करे कोई?
कैसे जज़्बातों की
कालि्ख छुपाये कोई
कैसे झूठ के आवरण
हटाये कोई और
सच से नज़र मिलाये कोई

40 टिप्‍पणियां:

  1. कैसे खुद को
    वस्त्रहीन करे कोई?
    कैसे जज़्बातों की
    कालि्ख छुपाये कोई
    कैसे झूठ के आवरण
    हटाये कोई और
    सच से नज़र मिलाये कोई

    क्या बात ...बहुत सटीक भाव हैं....

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  2. बहुत सामयिक रचना!
    --
    आज के हालत में तो वस्त्रहीन हो गई है हमारी सभ्यता!

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  3. shabdon aur bhawnao ka mel jajbaatee bana rha hai. nirantrta ka abhav thoda khal rhaa hai, kul milakar ek stareeya rachna hai.

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  4. गहन भावनाओं से ओत प्रोत अच्छी रचना.

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  5. स्वयं के सामने तो मन खोलना ही होगा।

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  6. सच से नजरें नहीं मिला पाने की कोशिश में शब्दों का चुक जाना ...
    कई बार गुजरते हैं हम लोग ऐसी ही अनुभूतियों से ...
    मगर फिर भी शब्द इकठ्ठा हो ही जाते हैं , कोई न कोई जुगाड़ लगा कर , जैसे आपकी ये कविता !

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  7. वंदना जी,

    बहुत गहराई है.....प्रशंसनीय है ये पोस्ट......खासकर अंतिंम पंक्तियाँ बहुत प्पसंद आयीं |

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  8. बहुत गहन विचार ...उदासी भी खुद को छुपाने का असफल प्रयास करती है ....सुन्दर अभिव्यक्ति

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  9. कैसे जज़्बातों की
    कालि्ख छुपाये कोई
    कैसे झूठ के आवरण
    हटाये कोई और
    सच से नज़र मिलाये कोई...

    बहुत गहन भाव...बहुत सुन्दर

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  10. सचमुच प्रेम और भाव आत्मा के वस्त्र हैं. विम्ब के माध्यम से गहन प्रेम को अभिव्यक्त करती रचना अच्छी लगी...

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  11. क्या बात है बेहद सटीक ..पर खुद से मिलना भी बहुत जरुरी है.

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  12. ek acchi rachna

    apne jhooth ko manane wale kam hai

    sach hi jitati hai sarvada

    sach ki shakti se nirbalon ka saath dijiye ham log ...

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  13. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (09.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  14. कैसे खुद को
    वस्त्रहीन करे कोई?
    कैसे जज़्बातों की
    कालि्ख छुपाये कोई
    कैसे झूठ के आवरण
    हटाये कोई और
    सच से नज़र मिलाये कोई

    कविता पढ़ कर उसे महसूस करने का अहसास होता है ,नई उपमाएं भावों की गहराई के स्पर्श का अनुभव कराती हैं !
    आभार वंदना जी !

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  15. कैसे झूठ के आवरण
    हटाये कोई और
    सच से नज़र मिलाये कोई

    सचमुच मुश्किल है ।
    सुन्दर रचना ।

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  16. sach kaha udasi khud ko dhoop me nahi sukhati.....kaise khud ko vastrheen kare koi???

    prabhavshali rachna.

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  17. उदासी की गहनता तो उदास मन अधिक समझ सकता है.क्या मौन में अनन्त शब्द नहीं छिपे होते?

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  18. Aise laga jaise tumne mere antar kee baat kah dee!Lajawab rachana!

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  19. अंतर्द्वन्दीय अंतर्कथा

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  20. कैसे खुद को
    वस्त्रहीन करे कोई?
    कैसे जज़्बातों की
    कालि्ख छुपाये कोई
    कैसे झूठ के आवरण
    हटाये कोई और
    सच से नज़र मिलाये कोई



    झूठ का आवरण हटाने की पुजोर कोशिश करती हुई ....बहुत अच्छी रचना -

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  21. मन की भावनाओं की बहुत ही सटीक प्रस्तुति ! बहुत सुन्दर रचना ! मेरी बधाई स्वीकार करें !

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  22. bahut bahut sundar rachna..ek arse baad kisi rachna ne antarman par dastak di...Vandana ji is rachna ke liye bahut bahut badhaai sweekar karen...

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  23. laazwaab ,bahut achchhi lagi

    कैसे खुद को
    वस्त्रहीन करे कोई?
    कैसे जज़्बातों की
    कालि्ख छुपाये कोई
    कैसे झूठ के आवरण
    हटाये कोई और
    सच से नज़र मिलाये कोई

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  24. उदासी पर इतनी गहरी रचना कि पढ़ने के बाद जल्दी बाहर निकलना संभव नहीं हो पाया.

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  25. भ्रष्टाचारियों के मुंह पर तमाचा, जन लोकपाल बिल पास हुआ हमारा.

    बजा दिया क्रांति बिगुल, दे दी अपनी आहुति अब देश और श्री अन्ना हजारे की जीत पर योगदान करें आज बगैर ध्रूमपान और शराब का सेवन करें ही हर घर में खुशियाँ मनाये, अपने-अपने घर में तेल,घी का दीपक जलाकर या एक मोमबती जलाकर जीत का जश्न मनाये. जो भी व्यक्ति समर्थ हो वो कम से कम 11 व्यक्तिओं को भोजन करवाएं या कुछ व्यक्ति एकत्रित होकर देश की जीत में योगदान करने के उद्देश्य से प्रसाद रूपी अन्न का वितरण करें.

    महत्वपूर्ण सूचना:-अब भी समाजसेवी श्री अन्ना हजारे का समर्थन करने हेतु 022-61550789 पर स्वंय भी मिस्ड कॉल करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे. पत्रकार-रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना हैं ज़ोर कितना बाजू-ऐ-कातिल में है.

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  26. एक चोरी के मामले की सूचना :- दीप्ति नवाल जैसी उम्दा अदाकारा और रचनाकार की अनेको कविताएं कुछ बेहया और बेशर्म लोगों ने खुले आम चोरी की हैं। इनमे एक महाकवि चोर शिरोमणी हैं शेखर सुमन । दीप्ति नवाल की यह कविता यहां उनके ब्लाग पर देखिये और इसी कविता को महाकवि चोर शिरोमणी शेखर सुमन ने अपनी बताते हुये वटवृक्ष ब्लाग पर हुबहू छपवाया है और बेशर्मी की हद देखिये कि वहीं पर चोर शिरोमणी शेखर सुमन ने टिप्पणी करके पाठकों और वटवृक्ष ब्लाग मालिकों का आभार माना है. इसी कविता के साथ कवि के रूप में उनका परिचय भी छपा है. इस तरह दूसरों की रचनाओं को उठाकर अपने नाम से छपवाना क्या मानसिक दिवालिये पन और दूसरों को बेवकूफ़ समझने के अलावा क्या है? सजग पाठक जानता है कि किसकी क्या औकात है और रचना कहां से मारी गई है? क्या इस महा चोर कवि की लानत मलामत ब्लाग जगत करेगा? या यूं ही वाहवाही करके और चोरीयां करवाने के लिये उत्साहित करेगा?

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  27. वदना जी बेहतरीन कविता , बार-बार मन होता है पढनें का , तारतम्य बनाये रखिये

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  28. कभी कभी
    उदासी इतनी
    गहन होती है
    शब्द भी
    खामोश हो जाते हैं
    या किसी कोने मे
    दुबक जाते हैं

    -सच है

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