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बुधवार, 2 मार्च 2011

कौन हूँ मै?

मै
तेरे सामने
तेरी जीवन्त 

मुस्कान बन
तेरे लफ़्ज़ो की 

पह्चान बन
एक कविता बनी
मगर मुझे मेरी कभी
पह्चान ना मिली

हर हर्फ़ मे तेरे

तेरा दर्द बनी
कभी तेरे प्रेम की
ताबीर बनी
मगर मुझे मेरी कभी
पह्चान ना मिली

तूने तो स्वंय को

मुझमे अभिव्यक्त
कर दिया
अपने स्वरूप को
आकार दे दिया
मगर मेरी पहचान
मुझमे खो गयी
वो तो सिर्फ़ तेरी
गज़ल, तेरी कविता
तेरी ही शायरी बनी
मगर मुझे मेरी पह्चान
कही नही मिली

अब बता

 ए दोस्त
ए शायर
ए हमदम
मेरा वजूद क्या है?
तेरी कविता?
तेरे ख्याल?
या तेरी सांसो मे
महकते मेरे
सपने?
कौन हूँ मै?
अभिव्यक्त कर मुझे भी

 तेरी शायरी की आत्मा
या जीवन्त निष्प्राण 
एक विषय वस्तु
कौन हूँ मै?

35 टिप्‍पणियां:

  1. जी कविता और पहचानबहुत स्पष्ट समीकरण है कोई कालजयी रचना लिखी ही जाती है आप भी लिखेंगीं ज़रूर फ़िर शायद ये कविता आपको गैर ज़रूरी लगेगी. ऐसी एक छटपटाहट सभी में होती है.चरैवेती

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  2. तेरे सामने
    तेरी जीवन्त
    मुस्कान बन
    तेरे लफ़्ज़ो की
    पह्चान बन
    एक कविता बनी
    मगर मुझे मेरी कभी
    पह्चान ना मिली
    tum hi kaho, kaun hun main !
    ek shashwat kashmakash pahchaan ki

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  3. बहुत ही सुंदरता से किया है आत्मचिंतन...सत्य का ज्ञान कराती और खुद का अस्तित्व खुद में ही खोजती..लाजवाब।

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  4. एक कसक जो टीस बनकर कविता में दिख रही है.
    lively!

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  5. वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।

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  6. हर नारी के मन में ये भाव जागते है ....बहुत गहन भावों को अभिव्यक्त करती सार्थक प्रस्तुति .

    आपको महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें .

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  7. मेरा वजूद क्या है?
    तेरी कविता?
    तेरे ख्याल?
    या तेरी सांसो मे
    महकते मेरे
    सपने?
    अस्तित्व खोजती,लाजवाब कविता !

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  8. पहचान का सवाल है ...बढ़िया कविता .

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  9. बढ़िया सवाल...
    बड़े सुन्दर ढंग से अभिव्यक्त किया है..इस सवाल को

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  10. बहुत सुंदर सटीक रचना, महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  11. "कौन हूँ मैं ?"...वाकई बहुत ही गहरे भाव लिए है आपकी यह कविता.

    सादर

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  12. कवि की प्रेरणा उसके समक्ष अपनी पहचान का प्रश्न खड़ा करते हुए। वाह !..बेहतरीन !

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  13. अब बता
    ए दोस्त
    ए शायर
    ए हमदम
    मेरा वजूद क्या है?
    तेरी कविता?
    तेरे ख्याल?
    या तेरी सांसो मे
    महकते मेरे
    सपने?
    कौन हूँ मै?
    अभिव्यक्त कर मुझे भी
    तेरी शायरी की आत्मा
    या जीवन्त निष्प्राण
    एक विषय वस्तु---

    Bahut hi jivit aatm svkrati---|

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  14. कभी तेरे प्रेम की
    ताबीर बनी
    मगर मुझे मेरी कभी
    पह्चान ना मिली

    व्यक्ति की पहचान और अस्मिता पर प्रकाश डालती सुंदर प्रस्तुति

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  15. एक सही सवाल, बहुत खुब.
    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें.

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  16. सरल शब्दों में अपनी पहचान की तलाश की गहन अभिव्यक्ति...... बहुत ही बढ़िया

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  17. अपने वजूद को जानने की छटपटाहट ही सृजन की प्रेरणा बनती है ...

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  18. प्रवीण जी की टिप्पणी के साथ हूँ....
    समर्पण की पहचान सबके मिले।

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  19. गहन भाव, बेहतरीन एवं उम्दा!!

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  20. sammananiya,
    namskar,

    ati sundar shilp ,man ko mugdh karnewali samvedanshil panktiyan hridaya ki gahrayion men utar gayin .
    bahut ruchikar .sadhuvad.

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  21. अभिव्यक्त कर मुझे भी
    तेरी शायरी की आत्मा
    या जीवन्त निष्प्राण
    एक विषय वस्तु
    कौन हूँ मै?
    --
    प्रश्न वाजिब है!
    महाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ!

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  22. बहुत सुन्दर प्रस्तुति|
    महाशिवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  23. subject और object का चिर काल से चला आ रहा द्वन्द । बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।

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  24. वंदना जी,

    बहुत खूबसूरत पोस्ट.....अपनी पहचान तो हमें खुद ही बनानी होती है....कौन किसे पहचान दे सकता है?

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  25. वाह बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  26. सही सवाल किया है आपने ... इन सब के बीच नारी का अपना अस्तित्व कहीं खो गया है ... उसे उसकी पहचान कभी नहीं मिली ..

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  27. कभी कभी किसी दूसरे की पहचान बने रहना तभी संभव होता है जब प्रेम हो .... गहरा आत्मचिंतन है ...

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