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सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

लो आज फिर तोड़ दिया ना अपना वादा तुमने

लो
आज फिर तोड़ दिया ना
अपना वादा तुमने
मैं तो रुकी थी
तेरे वादे की शाख पर
ठहरी थी और ठहरा दिया था
आज आसमाँ को भी
रुक गया था दिनकर भी
अपने रथ के साथ
सिर्फ तेरे लिए
तेरी आरजू के लिए
तेरी तमन्ना को
सुकून देने के लिए
देख अभी तक
सांझ उतरी नहीं है
देहरी पर मेरी
और तू खुद ही
मुझे दोपहर के
चौबारे पर
तनहा छोड़ गया
अब बता
इस दोपहर की
शाम कैसे और कब होगी
कब तक यूँ ही
ज़िन्दा जलती रहेगी
इंतज़ार की भट्टी में
क्या इसे ही इम्तिहान कहते हैं
वादों पर कुर्बान हो जाना
और उसे याद भी ना आना
कहाँ छोड़ गया आया था
एक दिया जलता हुआ
अब तो तुझे याद भी न होगा
और देख मै भरी दोपहरी मे
आज भी खडी  हूँ
तेरे इन्तज़ार की
तपती जमीन पर
धूप का दुशाला ओढे हुये

40 टिप्‍पणियां:

  1. vada karne vale jab vada nahi nibhate to shayad hrdy se aisi hi bhavpurn abhivyakti prakat hoti hai .sundar rachna .

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  2. मरने के बाद भी मेरी आँखे खुली रहीं,
    आदत पड़ी हुई थी इन्हें इंतज़ार की......
    यही तो प्रेम है.

    सुंदर रचना के लिए बधाई....

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  3. आज भी खडी हूँ
    तेरे इन्तज़ार की
    तपती जमीन पर
    धूप का दुशाला ओढे हुये
    --
    सुन्दर शब्द चयन के साथ बहुत बढ़िया रचना रची है आपने!

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  4. .

    धुप की दुशाला ओढ़े हुए !

    वाह ! ...लाजवाब अभिव्यक्ति !

    .

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  5. अच्‍छी भाव भरी रचना। आपकी रचना को लेकर बस इतना ही कहना है,
    'हर वक्‍त खुशी रहती नहीं, गम नहीं रहता,
    दुनिया में हमेशा कोई मौसम नहीं रहता।'

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    जवाब देंहटाएं
  6. इस दोपहर की शाम
    कैसे और कब होगी

    पूरी जि़्दगी इम्तहान ही तो देते रहते हैं हम।
    कविता के भाव मन को प्रभावित करते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  7. tere vaadon ki shaakh per main phir ruki
    ab to girne ka bhi hausla n tha
    per... shaakh toot gai !

    जवाब देंहटाएं
  8. कहते हैं न जो कभी ख़त्म नहीं होता वही तो है............इंतज़ार
    बहुत सुन्दर दिल को छूने वाली रचना...

    जवाब देंहटाएं
  9. कब तक यूँ ही
    ज़िन्दा जलती रहेगी
    इंतज़ार की भट्टी में
    क्या इसे ही इम्तिहान कहते हैं
    वादों पर कुर्बान हो जाना
    और उसे याद भी ना आना

    विरह वेदना की मार्मिक अभिव्यक्ति .....आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  10. wah...bohot acchi kavita hai....sundar abhivyakti :)

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  11. 'mai to ruk gai thi
    tere vade ki sakh per...
    Teri aarjoo ke liye
    Teri tamanna ko.....
    Abhi bhi khadi hoo
    tere intjaar ki jameen per'
    Uski bhagti me rangi aapka yeh intjaar avasaya avasya poorn hoga,kyonki uske intjaar ki jamin atyant hi pukhta hai aur uske vade ki shakh aisi nahi ki toot sake.
    Aap ki bhavpoorn abhivaykti se man
    gadgad ho gaya.Shukriya.
    .

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  12. ये मुक्‍तक वाकई अच्‍छा लगा।

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत खूब लिखा आपने ..... बधाई स्वीकारे ।

    जवाब देंहटाएं
  14. वंदना जी ...बहुत सुन्दर ...गहरी बात

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  15. Bahut gehri abhivyakti aur sunder nischla prem.............
    badhai sweekar karen.*****

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  16. वंदना जी,

    बहुत सुन्दर भावमय प्रस्तुति.....

    जवाब देंहटाएं
  17. वाह ...बहुत खूब .....भावमय करते शब्‍द ।

    जवाब देंहटाएं
  18. सुनिए जी ..लाईन में हमारा सो्लहवां नंबर है । अरे वेटिंग लाईन में जी । आपके साथ हम भी इंतज़ार कर रहे हैं ।

    शब्दों को खूबसूरत बनाने की प्रक्रिया ही कविता कहलाती है ..उसमें आप सिद्धहस्त हैं । शुभकामनाएं

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  19. और देख मै भरी दोपहरी मे
    आज भी खडी हूँ
    तेरे इन्तज़ार की
    तपती जमीन पर
    धूप का दुशाला ओढे हुये....

    इन्तेज़ार के पल वास्तव में बहुत मुश्किल होते हैं..बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..

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  20. वंदना जी ! प्रतिक्रया के लिए बहुत बहुत धनंयवाद |

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  21. बेहद गहन अभिव्यक्ति, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  22. kya baat hai...unhone wada toda hoga...par aapne shandaar likhte rahne ka wada nahi toda bandana jee...luv u :)

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  23. अत्यन्त भावपूर्ण रचना, उत्तम प्रस्तुति के साथ. आभार सहित...

    जवाब देंहटाएं
  24. आज भी खडी हूँ
    तेरे इन्तज़ार की
    तपती जमीन पर
    धूप का दुशाला ओढे हुये
    --
    दिल को छूने वाली खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  25. मन की पीड़ा दर्शाती भावपूर्ण अभिव्यक्ति.

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  26. और देख मै भरी दोपहरी मे
    आज भी खडी हूँ
    तेरे इन्तज़ार की
    तपती जमीन पर
    धूप का दुशाला ओढे हुये

    वन्दना जी बहुत हृदयस्पर्शी रचना लगी. धूप का दुशाला तो बहुत खूब रहा. बधाई.

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  27. गहन भावपूर्ण अभिव्यक्ति..... बहुत सुंदर

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  28. विरह वेदना की मार्मिक अभिव्यक्ति| धन्यवाद|

    बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  29. आद.वंदना जी,
    सुन्दर शब्द संयोजन के साथ गहन भावों की प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति आपके सृजन की विशेषता रही है !
    हमेशा की तरह यह कविता भी दिल को छू गयी !
    बसंत पंचमी की शुभकामनाएं !

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  30. दोपहर और सांझ को बेहद खूबसूरत अंदाज़ से आपने कविता में पिरोया है। खूबसूरत प्रस्तुति।

    बसंत पंचमी की ढेरों वासंती मंगलकामनाएं।

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  31. "आज भी खडी हूँ / तेरे इन्तज़ार की / तपती जमीन पर / धूप का दुशाला ओढे हुये" क्या गज़ब की बात कही है आपने . मेरी बधाई स्वीकारें- अवनीश सिंह चौहान

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  32. बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति वन्दना जी.वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं.

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  33. विरह को बह्त गहराई से अभिव्यक्त किया है आपने - आभार

    जवाब देंहटाएं

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