पृष्ठ

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

मै मरकर भी ज़िन्दा हूँ!!!!!!!!!!

तुम्हें ढूँढते
ज़माना गुज़र गया
जब भी तेरी
चौखट पर जाती हूँ
इक आस हर बार
फ़ना हो जाती है
तू तो मिलता नही
दरवाज़े भी सलाम
नही लेते
वो रुसवाई
वो मायूसी
जीने का सामान
बन जाती है
तेरे बिन जाने ही
अरमान ठहर जाते हैं
आस के दरख्तों पर
शायद इस रात की
सुबह जरूर होगी
मगर
हर रात सुबह का
इंतखाब नही करती
आस के फ़ूलों मे
महक नही होती
क्योंकि हर फ़ूल
देवता पर नही चढता
पता नही फिर भी
क्यों
तेरे दर पर
जा पहुंचती है
चाहत मेरी
तुझे खोजते हु्ये
तुझमे अपना वजूद
ढूँढते हुये
तेरे साये मे
तेरी पनाह मे
कुछ पल सुकून
पाने के लिये
वरना तो
कौन मरकर ज़िन्दा
हुआ है यहाँ
देख मुझे
मै
मरकर भी ज़िन्दा हूँ!!!!!!!!!!

42 टिप्‍पणियां:

  1. दिल की गहराइयों से निकली भावनाओं की सुंदर प्रस्तुति. अच्छी लगी कविता. आभार .

    जवाब देंहटाएं
  2. तेरे बिन जाने ही
    अरमान ठहर जाते हैं
    आस के दरख्तों पर
    शायद इस रात की
    सुबह जरूर होगी
    ... zarur hogi, darakhton per patte ug aayenge

    जवाब देंहटाएं
  3. तेरे दर पर
    जा पहुंचती है
    चाहत मेरी
    तुझे खोजते हु्ये
    तुझमे अपना वजूद

    तभी मकर भी जिंदा हूँ..... अपने वजूद की तलाश में.....
    बहुत सुंदर वंदना जी

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह वंदना जी.....बहुत खूबसूरत अहसास है.....सुभानाल्लाह......
    दरवाज़े भी सलाम नहीं लेते ......बहुत खूब|

    जवाब देंहटाएं
  5. bahooooooooooooooooot sundar, aapne dil ki gahraiyon se kahi, aur hamare dil ki gahraiyon ne suni.

    जवाब देंहटाएं
  6. मर कर जिन्दा होने का विम्ब .. प्रेम और आशा के भाव को व्यक्त करता है.. सुन्दर और प्रवाहमई कविता ..

    जवाब देंहटाएं
  7. चाहत मेरी
    तुझे खोजते हु्ये
    तुझमे अपना वजूद

    बहुत प्रेरणादायी भाव ...अंतिम पंक्तियों में दार्शनिक भाव की स्थापना करती कविता बहुत उत्तम कोटि की है ...आपका आभार वंदना जी

    जवाब देंहटाएं
  8. वरना तो
    कौन मरकर ज़िन्दा
    हुआ है यहाँ
    देख मुझे
    मै
    मरकर भी ज़िन्दा हूँ!!!!!!!!!!

    बहुत खूब लिखा आपने । दिल की गहराई से निकले हुए ज़ज्बात । बधाई स्वीकारे ।

    जवाब देंहटाएं
  9. गहरे जज्बातों को शब्द दे देती हैं आप .... बहुत लाजवाब ....

    जवाब देंहटाएं
  10. हर रात सुबह का
    इंतखाब नही करती
    आस के फ़ूलों मे
    महक नही होती

    एकदम सच ... बहुत सुन्दर !

    जवाब देंहटाएं
  11. .

    ...मरकर भी जिन्दा हूँ...

    बढ़िया अभिव्यक्ति !

    .

    जवाब देंहटाएं
  12. कौन मरकर ज़िन्दा
    हुआ है यहाँ
    देख मुझे
    मै
    मरकर भी ज़िन्दा हूँ!!!!!!!!!!

    बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति..बहुत प्रेरक और सुन्दर भविष्य के अहसास से परिपूर्ण..बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  13. बेहतरीन

    तेरे दर पर
    जा पहुंचती है
    चाहत मेरी
    तुझे खोजते हु्ये......... काबिलेतारीफ .....

    वाह वंदना जी

    जवाब देंहटाएं
  14. कौन मरकर ज़िन्दा
    हुआ है यहाँ
    देख मुझे
    मै
    मरकर भी ज़िन्दा हूँ!!!!!!!!!!

    बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति..बहुत प्रेरक और सुन्दर भविष्य के अहसास से परिपूर्ण..बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  15. मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है

    "गौ माता की करूँ पुकार सुनिए और कम से ....." देखियेगा और अपने अनुपम विचारों से

    हमारा मार्गदर्शन करें.

    आप भी सादर आमंत्रित हैं,
    http://sawaisinghrajprohit.blogspot.com पर आकर हमारा हौसला बढाऐ और हमें भी धन्य करें.......
    आपका अपना सवाई

    जवाब देंहटाएं
  16. अगर यह शिकायत ईश्वर से है तो उसके विधान को मानना ही जीवन की सार्थकता है!
    --
    रचना सोचने को मजबूर करती है!

    जवाब देंहटाएं
  17. वंदना जी ...बहुत सुन्दर ...गहरी बात

    जवाब देंहटाएं
  18. गहराइयो से कही बात का असर जल्दी होता है
    इश्वर के घर भी, भुत ही जज्बाती रचना..

    जवाब देंहटाएं
  19. तभी तो इतनी सुंदर कविता लिखी हे धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  20. आज ४ फरवरी को आपकी यह सुन्दर भावमयी पोस्ट चर्चामंच पर है... आपका आभार ..कृपया वह आ कर अपने विचारों से अवगत कराएं
    आज शास्त्री जी का जन्मदिन भी है....
    http://charchamanch.uchcharan.com/2011/02/blog-post.html

    जवाब देंहटाएं
  21. बहुत ही सुन्दर और कोमल भावनाओं से सुसज्जित रचना है वंदनाजी ! मन अंदर तक भीग गया ! अति सुन्दर !

    जवाब देंहटाएं
  22. बहुत ही भावपूर्ण और शशक्त अभिव्यक्ति.उस्ताद शायरा को दाद कैसे दूं.
    शुभ कामनाएं.

    जवाब देंहटाएं
  23. हर फूल देवता पर नहीं चढ़ता..........
    बहुत ही कोमल भावनाएँ, सरल शब्दों के साथ
    बधाई वंदना गुप्ता जी

    जवाब देंहटाएं
  24. तेरे दर पर जा पहुँचती है
    चाहत मेरी
    तुझे खोजते हुए
    तेरी पनाह में
    कुछ पल सुकून पाने के लिए
    देख मुझे मै मरकर भी जिंदा हूँ
    वाह वंदना जी वाह , बहुत खूबसूरत और भावुकता पूर्ण कोमल अहसास ...

    जवाब देंहटाएं
  25. देख मुझे
    मै
    मरकर भी ज़िन्दा हूँ

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ....शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  26. कौन मरकर ज़िन्दा
    हुआ है यहाँ
    देख मुझे
    मै
    मरकर भी ज़िन्दा हूँ!

    अनोखे भाव, अनूठी काव्य रचना।

    जवाब देंहटाएं
  27. ek dum naya thought ... refreshing sa hai .... sahi punch to antim lines me hi hai ....

    badhayi

    जवाब देंहटाएं
  28. बहुत प्रेरणादायी भाव ...आपका आभार वंदना जी

    जवाब देंहटाएं
  29. 'Sar rakhe sar jaat hai
    sar kate sar hoth
    jaise baati deep ki
    jale ujjala hoth'
    Wah! Vandanaji wah! aap 'mar kar bhi jinda hai ' tabhi to jalti hui baati ka ujjala spast dikh raha hai.

    जवाब देंहटाएं

आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं …………………अपने विचारों से हमें अवगत कराएं ………शुक्रिया