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गुरुवार, 9 दिसंबर 2010

अब सदायें आसमां के पार नहीं जातीं

आज तेरी 
याद का बादल
ख्यालों से
टकरा गया 
एक बिजली सी 
गिर गयी
आशियाँ जल गया
कभी हम मिले थे
यूँ ही चलते चलते
किसी अन्जान शहर में
किसी अन्जान मोड़ पर  
 और एक रिश्ता बना 
कुछ तेरा था उसमे 
कुछ मेरा था शायद
 बह रहे थे समय 
के दरिया में दोनों 
कभी उफ़ान खाता
सागर था तो
कभी  खामोश 
रह्गुजारें थीं 
मगर तब भी 
तुम भी थे
और मैं भी थी 
ये अहसास क्या 
कम थे 
मगर आज 
ना तुम हो
ना मैं हूँ
ना हमारे
अहसास हैं
वक्त की गर्द में
दबे शायद
कुछ जज़्बात हैं
जिन्हें तेरी 
पूजा की थाली में
उंडेल रही हूँ
जिसे तू खुदा 
कहता था
उसी में आज 
सहेज रही हूँ
वो तेरा जाना
और मेरा 
तड़प जाना
मगर रोक 
ना पाना
आज भी 
तड़पाता  है 
तेरे होने का
अहसास कराता है 
 मुझे मुझसे 
चुराता है
मगर यादें परवान 
नहीं चढतीं
शायद इसीलिए
अब सदायें
आसमां के पार
नहीं जातीं
और तुझ तक
पहुँच नही पातीं

47 टिप्‍पणियां:

  1. दिल को छू लेने वाली बहुत गहरे अर्थ प्रकट करती पंक्तियाँ.

    सादर

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  2. मगर यादें परवान
    नहीं चढतीं
    शायद इसीलिए
    अब सदायें
    आसमां के पार
    नहीं जातीं
    और तुझ तक
    पहुँच नही पातीं

    सच में कभी कभी मन सदायें नहीं जा पातीं वहां तक........ खूबसूरत भावों की सुंदर प्रस्तुति.....

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  3. मगर आज
    ना तुम हो
    ना मैं हूँ
    ना हमारे
    अहसास हैं
    वक्त की गर्द में
    दबे शायद
    कुछ जज़्बात हैं

    कुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....

    जवाब देंहटाएं
  4. न बिजली गिराइये
    न आशियाँ जलाइए ..
    सदाओं का क्या है
    बस दिल में
    ताजमहल बनाइये :):):)

    खूबसूरत प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  5. vandana ji.bbahut hi ghan prastuti ke saath sach ko abhivykt karti hai aapki post.मगर यादें परवान
    नहीं चढतीं
    शायद इसीलिए
    अब सदायें
    आसमां के पार
    नहीं जातीं
    और तुझ तक
    पहुँच नही पातीं
    manko sochane par majboor kar gai ye panktiyan
    poonam

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  6. वो तेरा जाना
    और मेरा
    तड़प जाना
    मगर रोक
    ना पाना
    आज भी
    तड़पाता है
    तेरे होने का
    अहसास कराता है
    --
    वियोग शृंगार की बढ़िया रचना के लिए बधाई!

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  7. Aah Vandana! Dard se sarobaar rachana hai...dil me ek tees ubhar gayee.

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  8. वाह....वंदना जी....बहुत खूब....काफी रोमांटिक रचना लिखी है इस बार .....सुन्दर

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  9. बहुत खूब , अब सदायें नहीं जातीं हैं आसमान के पार , शायद इसलिए क्योंकि इन्सान ने बच्चे की सी फितरत खो दी है ...

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  10. वाह वियोग और श्रृंगार ..वाह..

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  11. bhut hi sundar rachna.....see my blogg "*काव्य-कल्पना*" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ mera margdarshan kare....aapko aabhar

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  12. कित्ती प्यारी रचना है...बधाई.
    ______________
    'पाखी की दुनिया' में छोटी बहना के साथ मस्ती और मेरी नई ड्रेस

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  13. अब सदायें
    आसमां के पार
    नहीं जातीं
    ...dil ko chhu lenevaali rachna.

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  14. बहुत नाज़ुक अहसासों के साथ लिखी रचना ।

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  15. बहुत गहन अभिव्यक्ति, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  16. मगर यादें परवान
    नहीं चढतीं
    शायद इसीलिए
    अब सदायें
    आसमां के पार
    नहीं जातीं
    और तुझ तक
    पहुँच नही पातीं..

    बहुत ही मार्मिक प्रस्तुति..आँखें नम कर गयी..आभार

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  17. एहसास को बहुत खूबसूरती से चित्रित किया है

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  18. मगर यादें परवान
    नहीं चढतीं
    शायद इसीलिए
    अब सदायें
    आसमां के पार
    नहीं जातीं
    और तुझ तक
    पहुँच नही पातीं


    बेहद भावपूर्ण रचना है...

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  19. वंदना जी....

    काश ऐसा ताल-मेल सुकू-ते-सदा में हो,

    उसको पुकारूं मैं, तो उसी को सुनने दे.



    प्यार की तड़प, आसमाँ के पार भी जाती है.....

    शायद मैं भी यही प्रयोग कर रहा हूँ.....बधाई.

    मैं कवि नहीं हूँ......इसलिए शायद ठीक से व्यक्त नहीं कर पाऊं. क्षमा प्रार्थी.

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  20. गहन अभिव्यक्ति, शुभकामनाएं दिल को छू लेने वाली ,बधाई

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  21. हर दिन
    हर पोस्ट के साथ
    गहराती जाती है
    प्रेम की आपकी व्याख्या..

    सुन्दर कविता...

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  22. बहुत गहरे ओर सुंदर भाव लिज़े हे आप की ज़ह रचना, धन्यवाद

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  23. ऐसे ही कभी कभी कोई मिल जाता है और रिश्ता बन जाता है।

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  24. अब सदायें
    आसमां के पार
    नहीं जातीं
    और तुझ तक
    पहुँच नही पातीं

    बहुत सुन्दर........

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  25. बहुत सुन्‍दर भावों को शब्‍दों में समेट कर रोचक शैली में प्रस्‍तुत करने का आपका ये अंदाज बहुत अच्‍छा लगा, शब्‍दों व नई कविता के प्रति आपका प्रेम सच्‍चा लगा.

    बहुत सुन्‍दर भावों को
    शब्‍दों में
    समेट कर रोचक
    शैली में प्रस्‍तुत
    करने का आपका
    ये अंदाज बहुत अच्‍छा लगा,
    शब्‍दों व नई कविता के प्रति
    आपका प्रेम सच्‍चा लगा.

    एक लोकप्रिय-अतिलोकप्रिय-महालोकप्रिय या वरिष्‍ठ-कनिष्‍ट-गरिष्‍ठ ब्‍लॉगर

    जवाब देंहटाएं
  26. सदायें आसमान से पार नहीं जाती ...
    इसलिए तुझ तक पहुँच नहीं पाती ...
    मुश्किल दौर है ये ...
    अच्छी कविता !

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  27. आज तेरी याद का बादल .....बहुत सुन्दर

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  28. यादें परवान नहीं चढ़ती

    शायद इसलिए

    अब सदाये

    आसमां के पार नहीं जाती..



    बेहतरीन !!

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  29. एक दिन मेरे आंसू मुझसे पूछ बैठे,
    मुझे रोज़ रोज़ क्यों बुलाते हो।
    मैने कहा हम याद तो उन्हें करते हैं,
    तुम क्यों चले आते हो।
    आदरणीया वंदना जी :बहुत ही सुंदर रचना है आपकी।

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  30. वंदना जी, एक और उम्दा प्रस्तुति के लिए बधाई।

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  31. वो तेरा जाना
    और मेरा
    तड़प जाना
    मगर रोक
    ना पाना
    आज भी
    तड़पाता है
    तेरे होने का
    अहसास कराता है

    क्या बात है...बड़ा ख़ूबसूरत लिखा है.

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  32. वक्त के साथ हालात बदलते हैं इंसान बदलता है ...
    सुन्दर रचना !

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  33. बहुत सुन्दर। भाव पूर्ण रचना के लिए आभार,

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  34. अनजान शहर के अनजान मोड़ पर मिलने और वक्त के ज़ज्बात को पूजा की थाली में उडेलने का भाव मन को छू गया . बहुत अच्छी कविता . बधाई और आभार .

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  35. मोहतरमा आपकी दिल छु लेने वाली रचना से फ़राज़ साब की शेर याद आया -अब ना वोह में हूँ ना तू है ना माजी है फ़राज़ /जेसे दो साये तम्मना के सराबों में मिलें .शुक्रिया

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  36. वंदना ..

    ज्यादा कुछ नहीं कहना है , इस कविता के बारे में .. मेरे collections के लिये इस भेज दो .

    vijay

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आपके विचार हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं …………………अपने विचारों से हमें अवगत कराएं ………शुक्रिया