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बुधवार, 27 अक्टूबर 2010

मोहब्बत की ना कोई मिसाल होती है


कौन कहता है कि मोहब्बत की किताब होती है
ये तो दिल पर लिखी दिल की जुबान होती है

मोहब्बत तूने कौन सी जुबान में कर ली यारा
मोहब्बत तो हर जुबान में बेजुबान होती है

मोहब्बत के ये कैसे खेल खेल लिए तुमने
इस खेल में तो बस हार ही हार होती है  

जब इसकी महक़ फिजाओं में फैलती है यारा
तब मोहब्बत की दुल्हन भी बेनकाब होती है 

सुना है मौसम भी बदलते हैं रंग अपना
मगर मोहब्बत तो बेमौसम बरसात होती है


रंग कितने उँडेलो  जिस्म पर इसके 
ये तो मोहब्बती रंग का गुलाल होती है

तख्त-ओ-ताज के पहरों मे ना कैद होती है
ये तो किसी खास दिल की मेहमान होती है
 

मोहब्बत की ना कोई मिसाल होती है
ये तो हर युग मे बेमिसाल होती है


23 टिप्‍पणियां:

  1. @ वंदना जी,
    सुन्दर रचना ..... सहमत हूँ आपसे

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  2. सुन्दर रचना
    बात तो सच है आज के लिए

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  3. तख्त-ओ-ताज के पहरों मे ना कैद होती है
    ये तो किसी खास दिल की मेहमान होती है

    वाह ...बहुत खूब वंदना जी ...

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  4. प्रेम का स्वरुप बखानती सुन्दर रचना...

    जवाब देंहटाएं
  5. मोहब्बत तूने कौन सी जुबान में कर ली यारा
    मोहब्बत तो हर जुबान में बेजुबान होती है

    तख्त-ओ-ताज के पहरों मे ना कैद होती है
    ये तो किसी खास दिल की मेहमान होती है

    बहुत सुन्दर अहसास हैं रचना में ।
    ग़ज़ल लिखने का प्रथम प्रयास अच्छा है ।

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  6. बहुत सुन्दर
    मुहब्बत की प्रोफाईल आपने एक छोटी सी कविता मे समेट दी।
    बधाई

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  7. वंदना जी......

    बहुत कुछ लिखने की जी चाहता है..... लेकिन सागर को सीपियों से उलचने की बात है. कमाल........ और कमाल को सलाम.

    जवाब देंहटाएं
  8. वंदना जी......

    बहुत कुछ लिखने की जी चाहता है..... लेकिन सागर को सीपियों से उलचने की बात है. कमाल........ और कमाल को सलाम.

    जवाब देंहटाएं
  9. 3/10

    हल्की व सस्ती शायरी
    नयापन नहीं है
    ट्रक और टैक्सी वालों के लिए ख़ास उपयोगी

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  10. मोहब्बत तुने कौन सी जबान में कर ली यारा
    मोहब्बत तो हर जुबान में बेजुबान होती है........
    वाह इन पंक्तियों ने तो सब कुछ कह दिया ....

    सच में बेहतरीन भाव हैं, और उन भावों को आपने जिस प्रकार शब्दों में पिरोया है वह उसे और भी सुन्दर बना रही है ....बधाई

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  11. मोहब्बत की ना कोई मिसाल होती है
    ये तो हर युग मे बेमिसाल होती है
    बहुत सुंदर रचना जी . धन्यवाद

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  12. मुहब्बत के लिये कुछ ख़ास दिल मखसूस होते हैं,
    यह वह नग़्मा है जो हर साज पे गाया नहीं जाता।

    बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
    कविताओं में प्रतीक-शब्दों में नए सूक्ष्म अर्थ भरता है
    देसिल बयना - 53 : जाके बलम विदेसी वाके सिंगार कैसी ?

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  13. आपकी कवितायेँ पढता हूँ. बहुत अच्छी लगती है. आज आपको आमंत्रित करता हूँ मेरे ब्लॉग पर एक लेख पढने के लिए जो मैंने लिखा है उन सभी लोगों के लिए जो हिंदी में कविता लिखतें हैं. विषय है हिंदी कविताओं में छंदों की मात्राएँ . मुझे विश्वास है आप को जरूर पसंद आएगा . उस लेख को काव्य प्रेमियों तक पहुँचाने के लिए मेरा अनुरोध है की चर्चा मंच के माध्यम से उसे आप एक उपयोगी लेख बना देवें .

    http://mahendraarya.blogspot.com

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  14. प्रेम के विभिन्न पहलुओं को समेटती एक सुन्दर, दिल में उतर जाने वाली ग़ज़ल.. सहज शब्दों में प्रेम का बखान... वंदना जी बहुत बहुत बधाई.. आपके प्रेम में नवीनता झलक रही है...

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  15. वन्दना जी,

    बहुत खूब इस बार तो ग़ज़ल लिखी है आपने........शानदार है .........इस रचना से ग़ालिब साहब का एक शेर याद आता है मुहब्बत पर....मुलाहजा फरमाइए -

    " मुहब्बत में नहीं है फर्क जीने और मरने का
    उसी को देख कर जीते है, जिस काफिर पर दम निकले"

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  16. मोहब्बत के ये कैसे खेल खेल लिए तुमने
    इस खेल में तो बस हार ही हार होती है

    बहुत खूब ....सटीक बात ...

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  17. मोहब्बत तूने कौन सी जुबान में कर ली यारा
    मोहब्बत तो हर जुबान में बेजुबान होती है..

    प्रेम की एक लाजवाब और भावुक अभिव्यक्ति...आभार

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  18. वन्दना जी,

    मेरे ब्लॉग जज़्बात....दिल से दिल तक....... पर मेरी नई पोस्ट जो आपके ज़िक्र से रोशन है....समय मिले तो ज़रूर पढिये.......गुज़ारिश है |

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  19. मोहब्बत से लिखी गयी मोहब्बत भरी रचना

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