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सोमवार, 13 सितंबर 2010

पीड़ा का मर्म

कभी
मर्यादा का हनन 
किया होता
दोस्त बन कर 
दिल का दर्द 
पी लिया होता
तो कुछ लम्हों
के लिए ही सही 
मुझे मुझसे
छीन लिया होता
रूह पर गिरते 
अश्कों पर 
लब अपने 
रख दिए होते
अश्को का
ज़हर सारा 
पी लिया होता
तो मेरी रूह को
कुछ देर ही सही
तू जी लिया होता
रूह में जलते
सुर्ख अंगारों की 
तपिश पर 
हाथ रखा होता
दिल के हर 
अंगार पर अपना
नाम लिखा होता
कुछ अश्रु बूँद
टपकायीं होती
तो दिल जलने 
की आवाज़ 
तुझ तक भी
आई होती
मेरे दर्द की
कोई सीमा नहीं
अंतहीन दर्द के 
सफ़र में 
हमसफ़र 
बना होता
इस सीमा का
अतिक्रमण
किया होता
इस रेखा को लाँघ
अन्दर आया होता
तो मेरी पीड़ा का
मर्म जान पाया होता


32 टिप्‍पणियां:

  1. इस सीमा का
    अतिक्रमण
    किया होता
    इस रेखा को लाँघ
    अन्दर आया होता
    तो मेरी पीड़ा का
    मर्म जान पाया होता

    भावपूर्ण रचना .... आभार

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  2. Kin,kin panktiyon ko dohraun? Kin lafzon me taareef karun?Behad alahida aur khoobsoorat rachana!

    जवाब देंहटाएं
  3. रूह में जलते
    सुर्ख अंगारों की
    तपिश पर
    हाथ रखा होता
    दिल के हर
    अंगार पर अपना
    नाम लिखा होता

    बहुत भाव पूर्ण रचना ....काश करीब से जाना होता ..

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  4. काश...मन के उदगार बयान करती कविता बहुत सुन्दर.

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  5. बहुत खूब ... सच कहा है ... पर दूसरों की पीड़ा समझने वाले आज बहुत मुश्किल से मिलते हैं ...

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  6. दिल को छूती है आपकी यह मार्मिक कविता...सुन्दर भाव..बधाई.

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  7. बहुत ही भावुक कविता....पढ़कर मैं तो बस डूबती ही चली गई.....
    दोस्त बन कर
    दिल का दर्द
    पी लिया होता
    तो कुछ लम्हों
    के लिए ही सही
    मुझे मुझसे
    छीन लिया होता.....
    जब कोई ...आपको आप से छीनने वाला मिल जाए तो समझो आप ने सब कुछ पा लिया।

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  8. रचना में दर्द निखर कर सामने आया है । अपने बहुत खूबसूरती से उजागर किया है । अति सुन्दर ।

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  9. दर्दे दिल की आवाज....सुन्दर भावोक्ति!

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  10. जीवन के उन मृदु भावों से सुसज्जित जो किसी के अंतस में स्थित एकांतवास का सुख अनुभव करने से वंचित रहकर प्रवंचना का जीवन बिताने को गहन अंधकर की कंदरा में तिरोहित कर दिए जाते हैं, ऐसे अश्रु कणों को जो गरिमा आपने प्रदान की है, वह सर्वथा अतुलनीय है!! साधुवाद!!

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  11. इस रेखा को लाँघ
    अन्दर आया होता
    तो मेरी पीड़ा का
    मर्म जान पाया होता
    --
    पीड़ा को इंगित कर
    जीवन का पूरा फलसफा ही
    समा दिया आपने तो
    इस रचना में!

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  12. कुछ अश्रु बूँद
    टपकायीं होती
    तो दिल जलने
    की आवाज़
    तुझ तक भी
    आई होती
    ....Bahut sundar....bahut hi emotional aur dil ko chhunewali
    abhivyakti...dil ka dard bahut hi khubsurati se vyakt kiya hai...
    http://www.sharmakailashc.blogspot.com/

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  13. कुछ लम्हों के लिये
    ही मुझ को मुझ से
    छीन लिया होता। बहुत खूब। शुभकामनायें

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  14. कोई सीमा नहीं
    अंतहीन दर्द के
    सफ़र में
    हमसफ़र
    बना होता
    इस सीमा का
    अतिक्रमण
    किया होता
    इस रेखा को लाँघ
    अन्दर आया होता
    तो मेरी पीड़ा का
    मर्म जान पाया होता....
    वंदना जी प्रेम को नया आयाम दे रही हैं आप.. दर्द को आत्मा से परिचय करवा रही हैं.. ए़क कसक पैदा हो जाती है आपकी कविता को पढने के बाद और मन देर तक उद्वेलित रहता है... सुंदर कविता..

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  15. तो मेरी पीड़ा का
    मर्म जान पाया होता
    यही तो सबसे मुश्किल काम है

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  16. मानव की अंतहीन पीड़ा की सुंदर अभिव्यक्ति .

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  17. बहुत सुन्दर लिखा है..वो मर्म नहीं जाना कोई जो रेखा से बाहर ही रहा ! अब वाह भी कैसे बोलू ये तो दर्द की बात है.. :))

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  18. वाह...
    बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति..

    पीड़ा को सार्थक अभिव्यक्ति दी है आपने...

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  19. मेरे दर्द की
    कोई सीमा नहीं
    अंतहीन दर्द के
    सफ़र में
    हमसफ़र
    बना होता
    इस सीमा का
    अतिक्रमण
    किया होता
    *
    - बहुत सुन्दर !

    जवाब देंहटाएं
  20. कित्ती भावपूर्ण रचना ...बधाई.

    _____________
    'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है...

    जवाब देंहटाएं
  21. कित्ती भावपूर्ण रचना ...बधाई.
    _____________
    'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है...

    जवाब देंहटाएं
  22. कुछ अश्रु बूँद
    टपकायीं होती
    तो दिल जलने
    की आवाज़
    तुझ तक भी
    आई होती
    Bahut sundar Vandna ji.

    जवाब देंहटाएं
  23. vandana ji
    shandar likha hai
    kya bataun , kuchh bol hi nahi pa rahi
    bahut khoob likha hai.

    जवाब देंहटाएं
  24. vandana ji
    shandar likha hai
    kya bataun , kuchh bol hi nahi pa rahi
    bahut khoob likha hai.

    जवाब देंहटाएं
  25. रूह में जलते
    सुर्ख अंगारों की
    तपिश पर
    हाथ रखा होता
    दिल के हर
    अंगार पर अपना
    नाम लिखा होता
    beautiful!

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  26. वंदना जी,

    इतने सच्चे भाव आप लती कहाँ से हैं.......मुझे ऐसा लगता है की ये आपकी अपनी व्यथा ..........माफ़ कीजियेगा मेरा मतलब आपकी निजी जिंदगी में झाँकने का नहीं है ....पर जो मुझे लगा वही मैंने कहा ................सुन्दर रचना.....इन्हें कहते हैं "जज़्बात"

    कभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए-
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    एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|

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