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बुधवार, 1 सितंबर 2010

प्रेम का अंजन

प्रेम का अंजन
लगाओ 
सखी री 
मेरी आँखों में 
प्रेम का अंजन
लगाओ सखी री 
मुझे उनकी 
पुजारिन 
बनाओ सखी री
ये प्रेम की 
तिरछी डगर 
है सखी री
इस पर 
चलना सिखाओ 
सखी री
कभी तो 
मोहन को
बुलाओ सखी री
उनकी चाहत की 
पैंजनिया 
पहनाओ सखी री
विरह  में उनके 
नचाओ सखी री
श्याम को कहीं 
से ढूँढ लाओ
सखी री
मुरलिया की 
धुन सुनवाओ 
सखी री
मुझे श्याम की
मुरली बनाओ
सखी री
उनके अधरों
से मुझको 
लगाओ सखी री
कैसे भी अब तो
मुझे श्याम की
प्रिया बनाओ
सखी री
मोहे 
प्रेम का अंजन
लगाओ सखी री ............
 

47 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुत बधाई, बहुत जच रहा है ये प्रेम का अंजन आज फिर बारिश की फुहारों के बीच

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  2. सखी मैं राधा हुई
    सखी मैं मीरा हुई

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  3. आपको पर्व की बधाई ! इस पर अच्छी प्रस्तुति !

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  4. कृष्ण जन्माष्टमी पर यह भी खूब रही वंदना जी ! आपको जन्माष्टमी की शुभकामनाये !

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  5. बहुत सुंदर रचना, जन्माष्टमी की रामराम.

    रामराम

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  6. बहुत सुंदर रचना, जन्माष्टमी की रामराम.

    रामराम

    जवाब देंहटाएं
  7. जन्माष्टमी का उपहार है ये गीत.. आभार..

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत बढ़िया प्रस्तुति ...
    जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये
    जय श्रीकृष्ण

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  9. क्या तरंग है, क्या उमंग है
    मोरे अँग अँग रचा पी का रंग है.....

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  10. bahut khub ...janmashtmi ki shubhkaamnayein.....

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  11. मैं तो इंतज़ार ही कर रही थी किसी ऐसी कविता की...आज जन्माष्टमी का दिन...और प्रेम में डूबी कोई कविता ना मिले...:)
    इंतज़ार पूरा हुआ..एकदम प्रेम रस से विभोर कविता.

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  12. राधामय रचना... मोहन को समर्पित!! बहुत सुंदर!!!

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  13. बहुत बढ़िया प्रस्तुति ...

    जन्माष्टमी की शुभकामनाएं

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  14. "कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन्!"
    --
    योगीराज श्री कृष्ण जी के जन्म दिवस की बहुत-बहुत बधाई!

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  15. prem me doob kar likhi gai kavita... rom rom me rach bas gayee ye geetatmak kavita.. bahut badhiya

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  16. जन्माष्टमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!

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  17. सुन्दर रचना,

    श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये

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  18. Haan..aisi sakhi mil jaye ham sabhiko! Yahi dua kar sakti hun!
    Aapke vichar to hamari prerna hain!

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  19. आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
    बहुत सुंदर रचना !

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  20. प्रेम रस में गहरे डूबी इस सुन्दर कविता के लिए बधाई स्वीकारें.

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  21. वंदना जी आपके शुभकामनाओं के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया !

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  22. यहाँ आपने जिस प्रकार जन्माष्टमी की छटा बिखेरी है, वो प्रशंशनीय है.

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  23. bahut badhiya kavita....आपको जन्माष्टमी की शुभकामनाये !

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  24. श्री कृष्ण जन्माष्ठमी की बहुत-बहुत बधाई, ढेरों शुभकामनाएं!

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  25. ज्यों ज्यों डूबे श्याम रंग त्यों त्यों उज्जवल होय -गहन अभिव्यक्ति !

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  26. आज मीरा याद आ रही हैं:
    सखी मोरी नींद नसानी हो।
    बिन देख्या कल नाहिं परे चित ऐसी घनी हो।
    अंतर्वेदन विरह की वह पीर न जानी हो।
    मीरा व्याकुल विरहनी सुध बुध बिसरानी हो।

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  27. वाह ...वाह ....क्या बात है वंदना जी ....ऐसा लगता है जैसे ये किसी गोपी के ह्रदय की गूँज है..... जो प्रेम में मतवाला हो गया है |

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  28. बहुत सुन्दर वंदना जी। जनमाष्टमी के अवसर पर बहुत सुन्दर रचना की है बधाई।

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  29. vaah, sundar bhav-abhivyakti...sachche pyaar mey doobee hui. badhai.

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  30. बहुत सुंदर रचना, जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये,प्रेम रस से विभोर कविता.
    Very nice blog

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  31. आपका ब्लाग अच्छा लगा .ग्राम चौपाल मे आने के लिए धन्यवाद .आगे भी मिलते रहेंगें

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  32. बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिये।

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  33. bahut sundar geet hai ji

    lagtaa hai radha ke udgaaron ko shabd mil gaye hon

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