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शुक्रवार, 4 जून 2010

एक दिन में सिमटती यादें

कहते हैं यादों का कोई मौसम नहीं होता ....... यादों की फसल हर मौसम में लहलहाती रहती है मगर ऐसा होता कहाँ है ..............ज़िन्दगी इतनी फुरसत देती ही कब है जो यादों में जिया जाये ............ बड़ी मुश्किल से कुछ गिने -चुने दिनों में यादों को समेट देती है और यादों का हर मौसम उन्ही चुनिन्दा दिनों में लहलहा उठता है ...........अपने होने का अहसास करा जाता है .
सिर्फ एक दिन यादों का बवंडर आ जाना ........ सारी की सारी यादें सिर्फ एक दिन में सिमट जाना.............ना जाने क्या होता है उस एक दिन में. .........बाकी भी तो दिन होते हैं तब हमें कुछ भी याद नहीं आता ......अपनी रोजमर्रा की ज़िन्दगी जीते चले जाते हैं......... सुबह से ही दिनचर्या शुरू हो जाती है और रात को बिस्तर पर ख़त्म ...........मगर उस सारे दिन एक बार भी यादें दरवाज़ा नहीं खट्खटातीं.........फुरसत ही नहीं मिलती कि किसी को याद किया जाए............इतना वक़्त कब देती है ज़िन्दगी..........मगर जब आपका जन्म दिन हो , वैवाहिक वर्षगाँठ हो ,कोई आपसे बिछड़ा हो या किसी खास का आपकी ज़िन्दगी में आगमन हुआ हो या कोई हादसा हुआ हो..........उस दिन यादों की लहरें बाँध तोड़कर सैलाब सी उमड़ पड़ती हैं और हर तटबंध को तोड़ देती हैं............स्मृति की हर कुण्डी खडखडा जाती हैं ............क्या हमारा नाता यादों से सिर्फ एक दिन का होता है या फिर हम उस एक दिन में ही अपनी पूरी ज़िन्दगी जी लेते हैं ..........दिल के हर कोने से खुरच- खुरच कर यादों को निकाल लाते हैं ........हर दबी -ढकी, धुंधली याद भी उस एक दिन को महका जाती है फिर चाहे वो याद कडवी हो या मीठी, तीखी हो या कसैली मगर यादें तो सिर्फ यादें होती हैं जो उस एक दिन की शोभा बन कर उस सारे दिन पर कब्ज़ा कर लेती हैं और हम उनके साथ- साथ बहते हुए यादों की संकरी पगडंडियों से गुजरते हुए उसके हर अहसास में डूबते -उतरते यादों की वादियों में खो जाते हैं ..........उस एक दिन में हम होते हैं और हमारी यादें..........यादों के बिस्तर पर हम यादों का ही सिरहाना लगाये यादों में खोये होते हैं  उनके अलावा उस दिन कुछ याद ही नहीं आता ..........ज़िन्दगी की हर चिंता उस एक दिन में ना जाने कहाँ काफूर हो जाती है ........उस एक दिन में एक ज़िन्दगी को जीना एक अलग ही अहसास होता है ............ज़िन्दगी को ज़िन्दगी से दूर अपने आगोश में समेट लेती हैं यादें और ज़िन्दगी के हर दुःख तकलीफ , हर गम ख़ुशी से दूर ले जाती हैं ..........मगर हमारी ज़िन्दगी का एक हिस्सा होती हैं  यादें शायद इसीलिए  यादें ही हैं जो हमें जीने की उर्जा देती हैं क्यूंकि उस एक दिन में हम ना जाने किन -किन पलों से रु-ब-रु होते हैं और अपने अन्दर एक नयी शक्ति का संचार पाते हैं क्यूंकि इन्ही यादों में हमारे जीवन की सफलता और असफलता का दर्शन होता है और फिर उन्ही से प्रेरित हो हम अगले दिन से एक नए जोश और उत्साह के साथ ज़िन्दगी की मंजिल की ओर बढ़ने लगते हैं ..........एक और यादों को मुकाम देने के लिए..............शायद इसीलिए  सिर्फ एक दिन में सिमट जाती हैं यादें .

25 टिप्‍पणियां:

  1. सच कहा.. ये यादें भी ना बहुत कुछ भगवान् की तरह ही याद की जाती हैं.. 'दुःख में सुमिरन सब करें.. सुख में करे ना कोय.. '

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  2. bhut khub vandan ji ,, sach likha hai aap ne yaade hamare aane vaale kal ko nirdharit karti hai kal kaisa hoga ,, yaade usme bhut aham bhumika niibhati hai aur viprit paristhitiyo me bbhi achhi yaade jine ka sabbab ban jaati hai
    saadar
    praveen pathik
    9971969084

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  3. वंदना जी,
    याद रूपी भावो का सुन्दर वर्णन , एक कविता जैसा लगता है आलेख भी !

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  4. Zindagee baarbaar mohlat na de,yahi achha hai...ateet me kayi baar aisi ghatnayen ghat jati hain,jinhen dabaye rakhna hi behtar hota hai..warna insaan deewana ho jay..!

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  5. यादो का कारवां खूब चलाया जी आपने.....गद्य में भी पद्य का आनंद आया जी....बहुत बारीकी से महसूस कि गयी भावनाए संजो कर ये लेख तय्यार किया लगता है जी....

    कुंवर जी,

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  6. यादो के माध्यम से जन-जीवन का सजीव चित्रण!
    --
    यादें ही तो जीने का सहारा होती हैं!

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  7. "यादें अक्सर ही खतरनाक होती हैं...."

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  8. सादर!
    एक याद ही तो है जो गाहे बगाहे हमें हँसने का मौका दे देती है,
    रत्नेश त्रिपाठी

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  9. नग़में हैं क़िस्से हैं बाते हैं
    बातें भूल जाती हैं
    यादें याद आती हैं...

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  10. par kuch yaadein aisi bhi hain jo pal pal sath hoti hai...kuch bhi ghatne ka intzaar nahi karti bas aa hi jaati hai...

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  11. क्या कहूँ. बस इतना ही कह पाऊंगा..बेहतरीन..बेहतरीन ..बेहतरीन !! साधुवाद !!

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  12. बहुत सुंदर...यादें सताती भी बहुत हैं....

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  13. कभी कभी इस एक दिन में सिमटी यादें पूरे जीवन की जमापूंजी बन जाती हैं ...

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  14. बहुत खूब ................बहुत बढ़िया लिख आपने यादो के बारे में | यह यादे ही तो हमारा सब से कीमती खजाना होती है !

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  15. बहुत सुन्दरता से यादो की महत्ता बतायी है....ये यादें ही जीने का सहारा बनती हैं...यादें ना होतीं तो दुख के दिन ना कटते और सुख के समय पैर जमीन पे ना होते...बड़े काम की होती हैं यादें...

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  16. आपकी ये पोस्ट पहले ही पढ़ लि थी....पर बस बिजली रानी की मेहरबानी...कुछ लिख नहीं पाई...

    सच कहा कि यादें हैं जिनसे मन जुड़ा रहता है...अच्छी हों बुरी हों ..कभी भी ये दूर नहीं होतीं...बहुत अच्छे से लिखा है यादों का सफर

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  17. यादें न होतीं तो जीने की प्रेरणा कहाँ से मिलती ! यादें ही तो हैं जो हमें ज़रूरत पडने पर सहारा भी देती हैं और हमारा मार्गदर्शन भी करती हैं ! जीवन के सबसे मधुर जज्बे को समर्पित बहुत सुन्दर पोस्ट !बधाई एवं आभार !

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  18. यादें यादें यादें ... बहुत सुनहरी यादों के ब्लॉग बुना है ...

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  19. शुक्रिया वंदना जी आप नियमित रूप से मेरी हौसलाअफजाई कर रही हैं मेरे ब्‍लाग पर आकर। आपकी याद आई तो वह इस पोस्‍ट पर ले आई। आपकी यह पोस्‍ट पढ़कर मुझे अपनी एक पुरानी कविता याद आ गई। आप भी पढ़े-

    तुम्‍हारी याद

    एक अमरबेल सी

    छा जाती है मुझ पर
    और चूसते रहती है

    धीरे-धीरे।

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  20. एक बड़ी विचित्र और पीड़ादायक स्थिति भी होती है यादों के सफ़र में - जब कोई साथ रह कर भी याद आइ? लगता है।
    बढ़िया उन्मुक्त विचारमय लेखन - बधाई।

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  21. सुखकर यादें जीवन का सहारा होती हैं और अक्सर बहुत शक्तिशाली होती हैं आपका दिन बनाने के लिए या बिगाड़ने के लिए ! शुभकामनायें !!

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