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गुरुवार, 13 मई 2010

मैं भीग जाता हूँ

जब भी 
तेरे गेसुओं से 
टपकती बूँदें
गिरती हैं मेरे 
ह्रदय नभ पर
मैं भीग जाता हूँ 

जब भी तेरे अधरों पर
कुछ कहते -कहते
लफ्ज़ रुक जाते हैं
मैं भीग जाता हूँ

जब भी तेरी 
पेशानी पर
चुहचुहाती बूँदें
चाँदनी सी आभा
बिखेरती हैं
मैं भीग जाता हूँ

जब भी तेरे
दिल की धडकनें
मौसम - सी 
बदलती हैं
मैं भीग जाता हूँ

जब भी तेरा
मुखड़ा 
ओस की बूँद सा
सतरंगी आभा 
बिखेरता है
मैं भीग जाता हूँ

30 टिप्‍पणियां:

  1. संपूर्ण कवि हो गयीं आप वंदना जी.. वाकई

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  2. संपूर्ण कवि हो गयीं आप वंदना जी.. वाकई

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  3. रचना हमेशा की तरह बढ़िया है ... आभार.

    जवाब देंहटाएं
  4. जब भी तेरे अधरों पर
    कुछ कहते -कहते
    लफ्ज़ रुक जाते हैं
    मैं भीग जाता हूँ
    और फिर उन अनकहे शब्दों ने जो कहा उनका क्या, भीगना तो होगा ही
    बहुत सुन्दर

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  5. बारिश की बदली है क्या?

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  6. सुवास में डुबोती हुई पंक्‍ि‍तयां

    वाकई भि‍गोती हुई पंक्‍ि‍तयां

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  7. जब भी तेरी
    पेशानी पर
    चुहचुहाती बूँदें
    चाँदनी सी आभा
    बिखेरती हैं
    मैं भीग जाता हूँ

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  8. बहुत खूब ... सुंदर कल्पना है ... जब कोई इतना करीब हो तो अक्सर बहुत सी बातों से मन भीग जाता है ...

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  9. Vandana ! Aisi rachnayen likhti ho ki,mai bhee bheeg jati hun!
    Bhasha bhi itni saral,sahaj hoti hai,ki, baar,baar padhne kaa man karta hai..!

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  10. वाह! बहुत ही सुन्दर, आपके ब्लॉग से अब तक दूर रहा इसका अफ़सोस है!

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  11. जी बहुत बढ़िया...

    बहुत खुशनसीब होते होंगे यूँ भीगने वाले

    हम पता नहीं कभी भीगेंगे या नहीं.....
    या बस सोचते ही रह जायेंगे....

    कुंवर जी,

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  12. main bheeg jata hoon..
    waah...
    bahut badhiya.......

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  13. सुन्दर कविता है ...

    "जब भी तेरे
    दिल की धडकनें
    मौसम - सी
    बदलती हैं
    मैं भीग जाता हूँ"

    ये पंक्तियाँ मुझे बहुत अच्छी लगी !

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  14. आँसुओं की महिमा ही ऐसी होती है!
    खुशी और गम दोनों ही स्थिति में भिगो देती है!

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  15. वाह !!! इस बारिश मे कौन भीगना नही चाहेगा ?

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  16. बेहतर.....कब क्या क्या होता है दिल में....बड़ा ही सटीक लिखा है आपने.....किसी एक लाइन में नहीं पूरी कविता के दौरान लगा कि भींगता ही रहा हूं..ये अलग बात है कि किसी गुजरे पल को याद करते भीना भीना भींगां हूं मैं...

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  17. लाजवाब प्रस्तुती ......

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  18. जब भी तेरा
    मुखड़ा
    ओस की बूँद सा
    सतरंगी आभा
    बिखेरता है
    मैं भीग जाता हूँ ......vaah. bahut sundar,marmik rachna.

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  19. जब भी तेरे अधरों पर
    कुछ कहते -कहते
    लफ्ज़ रुक जाते हैं
    मैं भीग जाता हूँ..

    बहुत खूब ...अनकहे शब्द ही काफी हैं भिगोने के लिए ..

    बहुत सुन्दर और पवित्र सी रचना...

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  20. waah vandna ji bhut khub mai kya kahun in ahsaaso ko mahshuash kar raha hun
    saadr
    praveen pathik
    9971969084

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  21. बहुत सुन्दर भाव लिये रचना ......।
    बस ये कहूँगी
    जब न होते पास तुम
    तेरे अहसास की बारिश से
    मैं भीग जाता हूँ

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  22. वाह बड़ी ही मधुर रचना है ये तो...बहुत सुन्दर

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  23. और यह भीगना ही मेरी मन:स्थिति को दर्शाता है.

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