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शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2010

कैसे खेलें होरी

तिरछी चितवन
सुर्ख कपोल
भीगे अधर
प्रिये
कैसे प्रवेश करूँ
ह्रदय में
पहरे तुमने
बिठा रखे हैं
चितवन बांकी
बींध रही है
किस रंग से
तुम्हें सजाऊँ
कपोल सुर्ख
किये हुए हैं
कौन से नीर से
तुम्हें भिगाऊं
अधर अमृत का
पान किये हैं
प्रिये
कैसे खेलूँ होरी
तुझ संग कैसे
खेलूँ होरी
प्रिये
एक बार बस
आलिंगनबद्ध
हो जाओ
प्रेम रस में
तुम भीग जाओ
प्रीत मनुहार
के रंगों से
आओ सजनिया
अब खेलें होरी

29 टिप्‍पणियां:

  1. होली के पावन अवसर पर बहुत ही लाजवाब कविता प्रस्तुत की है आपने , आपको होली की बहुत-बहुत बधाई ।

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  2. तिरछी चितवन
    सुर्ख कपोल
    भीगे अधर
    प्रिये
    कैसे प्रवेश करूँ
    ह्रदय में
    पहरे तुमने
    बिठा रखे हैं
    Oh...bahut hee sundar!

    जवाब देंहटाएं
  3. तुम भीग जाओ
    प्रीत मनुहार
    के रंगों से
    आओ सजनिया
    अब खेलें होरी

    होसी के रंगों से सराबोर,
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!

    जवाब देंहटाएं
  4. "तुम भीग जाओ
    प्रीत मनुहार
    के रंगों से
    आओ सजनिया
    अब खेलें होरी"

    बहुत ही अच्छी रचना है .

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  5. प्यार के पक्के रंग लगा रही हैं आप होली पर...बहुत सुन्दर...

    होली की शुभकामनायें

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  6. aha ..kitne sundar shabdon se sajai hai aapne faag ki ye kavita...man rach bas gaya...
    bahut sundar.

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  7. बहुत सुंदर होली गीत, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  8. वाह क्या बात है वंदना जी बहुत ही बेहतरीन कविता जितनी भाव की द्रश्य से है उतनी ही श्रंगार के द्रश्य से भी है ,,,, अधर अमृत का
    पान किये हैं
    प्रिये
    कैसे खेलूँ होरी
    तुझ संग कैसे
    खेलूँ होरी
    प्रिये
    सादर
    प्रवीण पथिक
    9971969084

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  9. एक बार बस
    आलिंगनबद्ध
    हो जाओ
    प्रेम रस में
    तुम भीग जाओ

    जी हा प्रेम रस से भीगी होली ही तो असली होली है.
    बहुत सुन्दर भाव

    जवाब देंहटाएं
  10. तिरछी चितवन
    सुर्ख कपोल
    भीगे अधर
    प्रिये
    कैसे प्रवेश करूँ
    ह्रदय में
    पहरे तुमने
    बिठा रखे हैं
    बहुत खूबसूरत पँक्तियाँ है होली की बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  11. कैसे प्रवेश करूँ
    ह्रदय में
    पहरे तुमने
    बिठा रखे हैं
    चितवन बांकी
    बींध रही है
    किस रंग से
    तुम्हें सजाऊँ
    कपोल सुर्ख
    किये हुए हैं
    कौन से नीर से
    तुम्हें भिगाऊं
    अधर अमृत का
    पान किये हैं
    प्रिये
    कैसे खेलूँ होरी
    तुझ संग कैसे
    खेलूँ होरी...."
    वाह वन्दना जी, चित्रात्मक भावाभिव्यक्ति। बहुत सुन्दर रचना। आभार!!

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  12. आनन्द आया होली गीत पढ़कर.

    आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

    जवाब देंहटाएं
  13. आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत मन भावन रचना...होली की शुभकामनाएं.
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  15. होली के अवसर पर लिखी बहुत सुबदार रचना है ....... ..
    आपको और आपके समस्त परिवार को होली की शुभ-कामनाएँ ...

    जवाब देंहटाएं
  16. ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र

    कैसे प्रवेश करूँ
    ह्रदय में
    पहरे तुमने
    बिठा रखे हैं
    चितवन बांकी
    बींध रही है
    किस रंग से
    तुम्हें सजाऊँ
    कपोल सुर्ख
    किये हुए हैं
    कौन से नीर से
    तुम्हें भिगाऊं
    अधर अमृत का
    पान किये हैं
    प्रिये
    कैसे खेलूँ होरी
    तुझ संग कैसे
    खेलूँ होरी...."
    वाह वन्दना जी, सुन्दर अभिव्यक्ती। बहुत सुन्दर रचना। आप द्वारा रचित एक-एक शब्द दिलो को छू जाते है, इतिहास रचने को आतुर आपकी शब्दावली को हिन्दी काव्यजगत के लिए महान उपल्ब्धी मानता हू। मैने कई कवि कवित्रियो को पढा है, आपकी कविताओ की बात निराली एवम आत्मा को छु जाती है।
    महावीर बी सेमलानी

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  17. जीवन के प्रति आपका प्रेम बना रहे होली के अवसर पर शुभकामना ।

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  18. कौन से नीर से
    तुम्हें भिगाऊं
    अधर अमृत का
    पान किये हैं
    प्रिये
    कैसे खेलूँ होरी
    तुझ संग कैसे
    खेलूँ होरी
    ....सुन्दर अभिव्यक्ति !!!

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  19. प्रेम से सराबोर, मनोहारी, भीगी भीगी सी कविता
    आपको व आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें

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  20. ओह होली के पावन पर्व को प्रणय मनुहार के अबीर से लपेट कर आपने तो पूरी रचना को प्रेममय कर डाला है ..तोरे रंग रंगी ऐसी ..अब चढे कौन रंग दूजा ....बहुत सुंदर रचना बहुत ही सुंदर
    अजय कुमार झा

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  21. तुम्हें खुदा महरूम रखे जिंदगी की हर बुराइयो से
    रंगों का पर्वोत्सव मुबारक हो दिल की गहराइयों से
    रंगोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामना और बधाई....

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  22. बहुत बढ़िया प्रयास , होली और मिलाद उन नबी की शुभकामनायें कबूल करें !

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  23. होली के बहाने बहुत सुन्दर प्रेम अभिव्यक्ति।
    होली की हार्दिक शुभकामनायें।

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  24. वन्दना जी मैं आपकी नई पाठक हूँ 1आपकी कविताएं पढ़कर जाने क्यों ऐसा लगता है कि रिश्तों की गहराई चाहे वो किसी भी रूप मे हो शब्दों में उभर कर सामने आ जाती है1बहुत बहुत बधाई
    और
    होली की शुभकामनाएं सुमन कपूर (सुमन’मीत’) नई रचना –होली के रंग में
    Visit me on http://knol.google.com/k/suman-meet/आस-थ-क-ड-र-च-र/1mgjfgulsbtwv/9
    इस लिंक पर एक लेख लिखा है आपकी प्रतिक्रिया चाहूंगी 1

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  25. vandana ji holi par lajwab kavita ke liye badhai.
    santosh pandey.
    namaskar.jagranjunction.com

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