किस शून्य में
छिप गए हो
कहाँ कहाँ ढूंढूं
किस अंतस को चीरूँ
जब से गए हो मुहँ मोड़कर
प्रीत की हर रीत तोड़कर
किस पथ को निहारूं मैं
कैसे बाट जोहारूं मैं
तुम तो मुख मोड़ गए
मुझे अकेला छोड़ गए
अंखियन ने बहना छोड़ दिया है
ह्रदय का स्पंदन रुक गया है
तुम्हारे वियोग में प्रीतम
अंतस मेरा सूख चुका है
वो तेरा रूठ कर जाना
फिर बुलाने पर भी ना आना
जीवन को ग्रहण लगा गया है
कैसे भीगी सदायें भेजूं
किन हवाओं से पैगाम भेजूं
कैसे ख़त पर तेरा नाम लिखूं
लहू भी सूख चुका है अब तो
निष्क्रिय तन है अब तो
सिर्फ़ साँसों की डोर है बाकी
विदाई की अन्तिम बेला है
और आस की डोर कहीं बंधी है
तुम्हारे मिलन को तरस रही है
तेरे दीदार की खातिर
ज़िन्दगी मौत से लड़ रही है
हर आती जाती साँस के साथ
अधरों पर
तेरे नाम की माला जप रही है
निश्चेतन तन में कहीं
कोई चेतना बची नही है
इक श्वास ही कहीं
अटकी पड़ी है
तेरे विरह में कहीं
भटक रही है
अब तो आ जा
अब तो आ जा..........
मुझे एक बार फिर से
अपना बना जा
मेरी विदाई को
मेरा इंतज़ार न बना
शायद यही सज़ा है मेरी
आह ! नही आओगे
लो चलती हूँ अब
विदा करो मुझे
मेरे इंतज़ार के साथ
आस भी टूट गई
रूह भी पथरा गई
और साँस थम गई
अंखियन ने बहना छोड़ दिया है
जवाब देंहटाएंह्रदय का स्पंदन रुक गया है
तुम्हारे वियोग में प्रीतम
अंतस मेरा सूख चुका है
मार्मिक रचना...शब्द और भाव का अनूठा संगम...वाह
नीरज
:)
जवाब देंहटाएंमन को उदास करने वाली कविता है...कौन है वो
जवाब देंहटाएंजो ऐसी कविता पढ़ कर भी ना लौटे....
भावुक अभिव्यक्ति......
जवाब देंहटाएंजीवन की अंतिम बेला का सटीक चित्रण।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
जीवन की अंतिम बेला का सटीक चित्रण।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
जीवन की अंतिम बेला का सटीक चित्रण।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआभार आपका
पंकज
बहुत ही दर्द समेटे हुये रचना...
जवाब देंहटाएं"लो चलती हूँ अब
जवाब देंहटाएंविदा करो मुझे
मेरे इंतज़ार के साथ
आस भी टूट गई
रूह भी पथरा गई
और साँस थम गई"
अत्यन्त मार्मिक....
निशब्द हो गया हूँ।
बस यही कह सकता हूँ,
बेहतरीन..........
बहुत-बहुत बधाई!
बहुत ही मार्मिक रचना। वियोग से भरी हुई। शुरु से लेकर अंत तक एक ही धागे में लिपटी हुई।
जवाब देंहटाएंह्रदय का स्पंदन रुक गया है
तुम्हारे वियोग में प्रीतम
अंतस मेरा सूख चुका है
वो तेरा रूठ कर जाना
फिर बुलाने पर भी ना आना
जीवन को ग्रहण लगा गया है
कैसे भीगी सदायें भेजूं
किन हवाओं से पैगाम भेजूं
कैसे ख़त पर तेरा नाम लिखूं
बहुत बेहतरीन।
विरह की वेदना का अद्भुत चित्रण -
जवाब देंहटाएंवो तेरा रूठ कर जाना
फिर बुलाने पर भी ना आना
बहुत ही मार्मिक और भावो की सघन अनुभूति
बहुत ही दिल को छु लेने वाली मार्मिक रचना है यह ..भाव विभोर कर दिया इस ने शुक्रिया
जवाब देंहटाएं... behad prabhaavashaali abhivyakti !!!
जवाब देंहटाएंdil ko gahre chhu gai yah rachna
जवाब देंहटाएंvirah ka umda varnan
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखा है जी आपने
जवाब देंहटाएं"लो चलती हूँ अब
जवाब देंहटाएंविदा करो मुझे
मेरे इंतज़ार के साथ
आस भी टूट गई
रूह भी पथरा गई
और साँस थम गई "
मार्मिक रचना...बहुत ही अच्छी लगी ये रचना...
लो चलती हूँ अब
जवाब देंहटाएंविदा करो मुझे
मेरे इंतज़ार के साथ
आस भी टूट गई
रूह भी पथरा गई
और साँस थम गई
मार्मिक रचना
बहुत गहन भाव..मार्मिक..दिल को छू गई.
जवाब देंहटाएंमेरे इंतज़ार के साथ
जवाब देंहटाएंआस भी टूट गई
रूह भी पथरा गई
और साँस थम गई
wah vandana ji....
...hamesha ki tarah badhiya.
meri niji rai: Mujhe aapki choti poems zayada acchi lagti hain.
इक श्वास ही कहीं
जवाब देंहटाएंअटकी पड़ी है
तेरे विरह में कहीं
भटक रही है
अब तो आ जा
अब तो आ जा..........
मुझे एक बार फिर से
अपना बना जा
MAARMIK .... BHAVON KO SHABDON MEIN PIRO KAR EK SHASHAKT RACHNA KA SRIJAN KIYA HAI APNE .... SAJEEV CHITRAN ...
लो चलती हूँ अब
जवाब देंहटाएंविदा करो मुझे
मेरे इंतज़ार के साथ
आस भी टूट गई
रूह भी पथरा गई
और साँस थम गई"
vवन्दना तुम्हारी रवना पढ कर मन और उदास हो गया पता नहीं क्यों आज अपनी भी सास टूटती सी लग रही है इतनी वेदना सच मे कभी कभी िन्सान कितना मजबूर सा हो जाता हैबहुत बडिया रचना है शुभकामनायें
आपकी कविताओं में वेदना है......महादेवी की कविताओं सी........कुछ नए मुहावरे में भी लिखें...
जवाब देंहटाएंआपकी सभी कृतियाँ सुन्दर है
जवाब देंहटाएं---
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वाह वाह क्या बात है! बहुत ही ख़ूबसूरत और शानदार रचना लिखा है आपने! दिल को छू गई आपकी ये रचना जो पूरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लिखा है! इस बेहतरीन रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ !
जवाब देंहटाएंएक सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंnice post...........
जवाब देंहटाएंnice post sir ji...........
जवाब देंहटाएंलो चलती हूँ अब
जवाब देंहटाएंविदा करो मुझे
मेरे इंतज़ार के साथ
आस भी टूट गई
रूह भी पथरा गई
और साँस थम गई .........
hmmm...... bahut hi maarmik rachna..... aisa chitran pehli baar hi dekha....... bahut achcha laga .....
बहुत सुंदर भावपूर्ण कविता
जवाब देंहटाएंछायावादी युग की कवितायें याद आ गईं ।
जवाब देंहटाएंjust suparb .. mere paas shabd nahi hai is anmol rachna ke liye .. bahut hi dil ko choo lene waali rachna .. main kya kahun ji .. lekhan ab aur saarthak ho gaya hai ..
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