मौसम का क्या है
बदलता ही रहता है
और फिर लौट कर
भी आता रहता है
मगर कुछ मौसम
ऐसे भी होते हैं
एक बार जो चले जायें
फिर कभी लौट कर नही आते
फिर कितना भी पुकारो
कितने ही पैगाम भेजो
बंजर जमीन की तरह
फिर वहां कोई फूल नही खिलता
बड़े बेदर्द मौसम होते हैं कुछ
यादों में ही बरसते हैं
यादों में ही उलझते हैं
कभी सर्द रातों की तरह
तो कभी धूप की चादर की तरह
कभी मौसमी बरसात की तरह
तो कभी पतझड़ में ठूंठ हुए
पेड़ की तरह
ये बेदर्द मौसम
सिर्फ़ दर्द देकर चले जाते हैं
ऊम्र भर का
लौट कर फिर न आने के लिए।
मौसम का एक वृत बना है आते हैं हर साल।
जवाब देंहटाएंदर्द तो यादों की थाती है कविता बनी कमाल।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
सब मौसम बेदर्द नही होते हैं।
जवाब देंहटाएंदुनियाँ में सब मर्द नही होते हैं।
बिन बादल ही जो, रिम-झिम बरसा करते हैं।
वो सावन में बून्द-बून्द को तरसा करते हैं।
पतझड़ में भी कभी बहारें आ जाती है।
दुख में भी सुखभरी बयारें आ जाती हैं।।
boht dard hai aapki kavita me...mousam ka to bhana tha....yado ko kisi tarah btana tha....
जवाब देंहटाएंwah...achhee shikaayat hai...mausam se.....bahut hee sundar likhaa....
जवाब देंहटाएंwaah...mausam se badi pyari shaikaat kee aapne....sunder rachnaa...vandana jee....likhtee rahein...
जवाब देंहटाएंachchhi rachna
जवाब देंहटाएंबहुत ही गहेरी भावना है मन में छिपी हुई,
जवाब देंहटाएंये मौसम ये आसुओं की बरसात ..........
बहुत अच्छा लिखा है.........
दिल को छुता हुआ..........
lekin itna dard kyun ye nahi pata bahut gehra aur daba hua marm hai........
अक्षय-मन
बहुत ही सुन्दर कविता है। वैसे दुःख देने वाले मौसम वापस ना ही आएं तो अच्छा है।
जवाब देंहटाएंकुछ मौसम ऐसे ही होते हैं.........सहेज कर रखने पढ़ते हैं............खूबसूरत रचना है आपकी.........
जवाब देंहटाएंकुछ मौसम ऐसे होते हैं जो लौट कर नही आते । आते हैं सिर्फ यादों में और दर्द दे के जाते हैं । बिल्कुल सही कहा आपने ।
जवाब देंहटाएंbahut acchi rachna!
जवाब देंहटाएंvandana ji , kuch mausam to bus aise hi hote hai ...
जवाब देंहटाएंdil ko choo jaayte hai aur phir chale jaate hai .. kabhi bhi na aane ke liye ..... tarsaane ke liye ...tadpaane ke liyee...
bahut acchi rachna ..
badhai ..
vijay
यादों में ही बरसते हैं
जवाब देंहटाएंयादों में ही उलझते हैं
कभी सर्द रातों की तरह
तो कभी धूप की चादर की तरह
bahut khoob...kya baat hai..
bahut hee bhaavmay kavita hai aur yahee jindagee hai
जवाब देंहटाएंmausam ko mat kosiye, mausam julmi nay
जवाब देंहटाएंgaali usko dijiye jo karke gaya na bye
vandana ji, hamesha ki tarah ek sunder kavita padhkar achcha laga aur jo man men aaya likh diya.asha hai bura nahin lagega.
बहुत बढ़िया ख़्यालात
जवाब देंहटाएंbahut hi achhi aur sachchi rachnaa
जवाब देंहटाएंumarhatee bhaavnaaon ki sundar tasveer
badhaaee
---MUFLIS---
bah.ut sundar aap jo bhi likha hai ......hakikat bahut hai
जवाब देंहटाएंयादोने में ही बरसते हैं... यादोने में ही उलझाते हैं..
जवाब देंहटाएंवाह वाह...
~जयंत
(बहुत बहुत धन्यवाद, मेरे ब्लॉग पर आने का और "अनुसरण": करने का... आपने इस लायक समझा.. मेरा मान bada.."
गज़ब की रचना ...बहुत अच्छी लगी...!सच में कुछ मौसम कहाँ लौट के आते है???एक बार जाने के बाद उम्मीद में ही पूरा जीवन गुजर जाता है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिखा आपने..साधुवाद !!
जवाब देंहटाएं__________________________
विश्व पर्यावरण दिवस(५ जून) पर "शब्द-सृजन की ओर" पर मेरी कविता "ई- पार्क" का आनंद उठायें और अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएँ !!
vanadana ..... antim pankhtiyaan jaan ban gayi hai is poem ki ....
जवाब देंहटाएं