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बुधवार, 11 मार्च 2009

ये कैसी होली

कहीं तो रंग ,अबीर ,गुलाल उडाते
रंगों की बोछार उडाते
होली लोग मनाते
और
कहीं कोई जिंदगी को
जीने की जुगाड़ लगाता
होली के इस हुडदंग में
शाम की रोटी के जुगाड़ में
गुब्बारों की खाली
पन्नियाँ बटोरता जीवन
क्या उनमें उमंग नही
होली की वो तरंग नही
हाय ! यह कैसी होली है
यह कैसी होली है ?

11 टिप्‍पणियां:

  1. कचरे और कबाड़े में, जो रोजी खोज रहे हैं,
    गीत उन्हें भी सब त्योहारों के, गाने आ जायें।
    मेरी यही प्रार्थना है, उस जगत-नियन्ता से,
    भोले चेहरों पर भी,सुख की मुस्कानें छा जाये।।

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  2. होली पर्व की आपको भी शुभकामना बधाई .

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  3. जी सच है, दुखद है।
    होली की शुभकामनाएँ।
    घुघूती बासूती

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  4. ati sundar jindagi ka rukh liya hai...

    computer me ek bada fault aane ki vajah se aap ko holi mubarak na kah payi to ab
    belated holi mubarak...

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  5. आपकी ये रचना कल 6 - 3 - 2012 नई-पुरानी हलचल पर पोस्ट की जा रही है .... ! आपके सुझाव का इन्तजार रहेगा .... !!

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  6. यह विडम्बना तो जीवन का एक कटु पहलु रहा है ....मार्मिक रचना

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  7. इस विडम्बना को तो कोई नहीं नकार सका है ....मार्मिक रचना

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  8. होली का एक रंगहीन पहलु....
    सार्थक रचना...

    होली की शुभकामनाएँ...

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