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बुधवार, 21 मई 2008

khamoshiyan

खामोशियों की जुबान नही होती,sirf dard और tanhaiyan ही साथी होते हैं ,
खामोशियों के dard को कोई समझ सके,ऐसा कोई dil नज़र नही आता ,
खामोशियों की आवाज़ बहुत खामोश होती है ,इसे सुनने की हर dil को आदत नही होती,
ऐसा कोई milta नही जो समझे इनकी जुबान को ,इन्हें तो कुछ भी कहने की आदत नही होती ,
खामोशियों के साथ sirf खामोश dil ही होता है,खामोशियों क पार तो खामोशी ही होती है,
इसलिए खामोशियों की जुबान नही होती,sirf एक अनसुनी अनकही खामोशी ही होती है

13 टिप्‍पणियां:

  1. कविता अच्छी है .बस लिखती रहिये और अच्छे लेखको को पढ़े . बधाई
    www.vangmay.com
    www.radiosabrang.com
    पढ़े और सुने

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  2. aape apni khamoshi ko bahut hi sundar kavita me dhala hai; kavita bahut hi khoobsoorataur dard bhari hai.

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  3. toofan ke aane ki nishani hai ye,
    khamoshi tera anjam bura hota hai.

    -------------------------Vishal

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  4. aaj maine bhi khamoshi par kuch likha hai , dekhiyenga jarur.

    khamoshi ki juban nahi hoti , bus khamoshi hoti hai ..


    vijay
    http://poemsofvijay.blogspot.com/

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  5. aapki khamoshi bahut kuchh kahati hai vandna ji. bahut badiya. regular likhen.
    mere blog (meridayari.blogspot.com)par bhi aayen.
    shivraj gujar

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  6. आज पहली बार आपके ब्लॉग को पढ़ा.अच्छा लगा.

    क्या खामोशी के साथ आप सब कुछ कह जाती हैं............

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  7. खामोशी को सलीके से बयां करना महारथ से कम नही,
    आपको बधाई मगर खामोशी से :-)

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  8. aapke khayal ne khamosh khamoshi ko bhi haal e-dil bayaan karne ke liye zubaan de di..bahut sundar likha hai:)

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  9. आपको लोहडी और मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ....

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  10. गम की बातें सुन-सुन कर,

    इक दिन दम घुट जायेगा।

    दिल का कुछ नही बिगड़ेगा,

    पर दिल वाला लुट जायेगा।

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