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बुधवार, 3 अगस्त 2011

कभी देखा है चिता को चीत्कार करते हुये?

ये कानखजूरों से रेंगते
सवालो के पत्थर
ये बेतरतीब से बिखरे
अशरारों के मंज़र
हादसों के गवाह
कब होते हैं
ये तो खुद हादसों की
वकालत करते हैं
सीने पर बिच्छू से
डंक मारते अलाव
उम्र भर जलने को
मजबूर होते हैं
चिता का धुआं
सुलगती आग को
हवा देता है
और हर ख्यालाती
मंज़र को होम
कर देता है
कभी देखा है
चिता को चीत्कार
करते हुये?

45 टिप्‍पणियां:

सदा ने कहा…

गहन भावों को समेटे हुये ... बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

Sunil Kumar ने कहा…

नये प्रतीकों के माध्यम से अभिव्यक्ति बहुत सुंदर

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

'चिता का चीत्कार... '' बढ़िया बिम्ब प्रयोग.. पूरी कविता सुन्दर...

वाणी गीत ने कहा…

सवालों के पत्थर , डंक मारते अलाव , चिता की चीत्कार ...
आप तो ऐसी ना थी !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आज 03- 08 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....


...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
____________________________________

Maheshwari kaneri ने कहा…

अभिव्यक्ति के नये माध्यम से सजा सुन्दर रचना...

Kunwar Kusumesh ने कहा…

नए प्रतीक और बिम्ब.
वाह वंदना जी.

संजय भास्‍कर ने कहा…

वाह क्या बात है वन्दना जी !

मनोज कुमार ने कहा…

आक्रोश है ...

PRIYANKA RATHORE ने कहा…

bahut khoob vandana ji....aabhar

विभूति" ने कहा…

अच्छी अभिवयक्ति....

बेनामी ने कहा…

चिता को चीत्कार........शीर्षक ही रौंगटे खड़े कर देने वाला है.......बढ़िया |

vidhya ने कहा…

वाह क्या बात है वन्दना जी !
आप मेरे पेरक है

सागर ने कहा…

behtreen bhaavabhivaykti...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

गहरी उतरती पंक्तियाँ।

kshama ने कहा…

चिता का धुआं
सुलगती आग को
हवा देता है
और हर ख्यालाती
मंज़र को होम
कर देता है
कभी देखा है
चिता को चीत्कार
करते हुये?
Uf!

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

.... कभी देखा है चिता को चीत्कार करते हुए...

वाह ! नवबिम्ब प्रयोग और गहन चिंतन....
सादर...

संध्या शर्मा ने कहा…

चिता का धुआं
सुलगती आग को
हवा देता है
और हर ख्यालाती
मंज़र को होम...
चिता का चीत्कार... बेहतरीन अभिव्‍यक्ति

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

चिता को तो चीत्कार करते हुए नहीं देखा मगर परिजनों को जरूर देखा है!

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

prateekon ke sunder prayog se prabhavi rachna ka acchha srijan.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 04- 08 - 2011 को यहाँ भी है

नयी पुरानी हल चल में आज- अपना अपना आनन्द -

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

गहरी बात लिए पंक्तियाँ..... बहुत सुंदर लिखा है वंदनाजी.....

Dorothy ने कहा…

दिल की गहराईयों को छूने वाली बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.

Urmi ने कहा…

बहुत ही सुन्दर और गहरे भाव के साथ लिखी हुई इस रचना के लिए हार्दिक बधाइयाँ!

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

मैं सुन रहा हूं चीत्कार
चिताओं का


सभ्यता के श्मशान में
हड्डियों के ढेर पर
मांस की चादर में
बेरंग आत्मा
जब सुलगती है तो
चीत्कार ज़रूरी है
लेकिन इसे सुनता वही है
जो ख़ुद सुलग रहा हो
हां,
मैं सुन रहा हूं चीत्कार
चिताओं का, चिंताओं का
अबलाओं का, मांओं का
करूण क्रंदन
हर घड़ी हर पल
क्योंकि वह प्रतिध्वनि है
मेरे ही अंतर्मन की

आप क्या जानते हैं हिंदी ब्लॉगिंग की मेंढक शैली के बारे में ? Frogs online

Nidhi ने कहा…

चिता का चीत्कार ....क्या कल्पना है...बेहतरीन !!

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

अंदर तक हिला देने वाली कविता।

सादर

mridula pradhan ने कहा…

sabse alag ye naya prayog bahut gahre tak gaya.....

vishy ने कहा…

वाह क्या बात है वन्दना जी !

रचना दीक्षित ने कहा…

सुन्दर भावों से सजी प्रस्तुति.बेहतरिन अभिव्यक्ति

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

चिताएं भी चीत्कार करतीं हैं ....
सुनने वाले चाहिए .....
सुंदर नज़्म ....!!

रेखा ने कहा…

वाह ....बिलकुल अलग अंदाज में ...

डा श्याम गुप्त ने कहा…

वन्दना जी ...टिप्पणी करने वालों के लिए तो में कुछ नहीं कहूँगा..पर ----सवाल, असरार, अलाव , चिता का धुंआ व चिता का चीत्कार ....५ विषय हैं एक कविता में( ५ छोटी छोटी कवितायें ) जो आपस में सम्वद्ध भी नहीं हैं....आगे क्या कहा जाय ....

Minakshi Pant ने कहा…

कभी देखा है
चिता को चीत्कार
करते हुये? .....बहुत मार्मिक रचना सच कहा किसने देखा ये सब ?
बहुत खूबसूरती से लिखी रचना |

बेनामी ने कहा…

jhakjhor ke rakh diya aapne....takleefdeh sach...







http://teri-galatfahmi.blogspot.com/

Apanatva ने कहा…

sunder abhivykti..

बेनामी ने कहा…

wah bahut khoob,and thanks for your comment

palash ने कहा…

एक खामोश सी आवाज को सुनने की कोशिश वाकई काबिले तारीफ है ...

Manav Mehta 'मन' ने कहा…

bhavpooran

Sonit Bopche ने कहा…

wakai me aapki ye choti si kavita apne aap me bhut gahan bhavon ko samete huye hai....bhut khoob vandana ji...aapki is sahitya ki duniya me maine bhi apne chote chote kadam rkhe hai...kabhi mera blog bhi visit kre mujhe bhut khushi hogi..http://sonitbopche.blogspot.com

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बहुत गहरीबात कह दी आपने।

------
कम्‍प्‍यूटर से तेज़...!
सुज्ञ कहे सुविचार के....

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

gahri abhivyakti...

Udan Tashtari ने कहा…

सुन्दर और गहरे भाव

sm ने कहा…

बहुत खूब - बहुत सुंदर

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

चिता का चीत्कार... वाह, अद्भुत कल्पना है।
कविता कुछ संदेश भी दे रही है।